नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने मंगलवार को फसल बीमा की पेशकश करने वाली साधारण बीमा कंपनियों के लिए संपत्ति-देनदारी अनुपात (सॉल्वेंसी मार्जिन) को घटा दिया। इस फैसले से इन कंपनियों के हाथ में 1,400 करोड़ रुपये आ जाएंगे, जिससे वे अपने कारोबार को बढ़ा सकती हैं।
इरडा ने कहा कि यह फैसला देश में बीमा पहुंच बढ़ाने के लिए किए गए सुधारों की कड़ी का हिस्सा है।
नियामक ने बयान में कहा कि उसने फसल कारोबार करने वाले बीमाकर्ताओं के लिए संपत्ति-देनदारी अनुपात की आवश्यकता को कम कर दिया है।
बयान में आगे कहा गया, ‘‘इस कदम से सामान्य बीमाकर्ताओं के कारोबार विस्तार की क्षमता में वृद्धि होगी।’’
संपत्ति-देनदारी अनुपात किसी बीमाकर्ता की वित्तीय सेहत का प्रमुख संकेतक है। यह इसकी संपत्ति और देनदारी के मूल्य के बीच के अंतर को दर्शाता है। नियामक बीमाकर्ताओं के लिए ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ तय करता है।
इरडा ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 से वह ‘सॉल्वेंसी’ गणना के उद्देश्य से सरकार से देय प्रीमियम की स्वीकार्यता की अवधि को 180 दिनों से 365 दिन कर रहा है।
नियामक ने कहा, ‘‘अब, उपरोक्त छूट को वित्त वर्ष 2022-23 से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। इस कदम से साधारण बीमा उद्योग की संपत्ति-देनदारी अनुपात की स्थिति में सुधार होगा।’’
इरडा को उम्मीद है कि इस छूट से उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव होगा, क्योंकि इससे उनकी पूंजी मुक्त हो जाएगी।
भाषा पाण्डेय अजय रमण
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