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सोमवार, 23 जून, 2025
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आईपीओ में आवंटित 54 प्रतिशत शेयर एक सप्ताह में ही बेच देते हैं निवेशक: अध्ययन

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नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) ज्यादातर निवेशक आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के तहत शेयर आवंटन के बाद उसमें लंबे समय तक बने नहीं रहते हैं और लाभ की स्थिति में एक सप्ताह के भीतर ही शेयर बेचने को तरजीह देते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है।

इसमें कहा गया है कि आईपीओ को लेकर निवेशकों का रुख अलग-अलग देखने को मिलता है। निवेशक (एंकर यानी बड़े निवेशकों को छोड़कर) एक सप्ताह के भीतर मूल्य के हिसाब से आवंटित निर्गम का 54 प्रतिशत हिस्सा बेच देते हैं।

सेबी के अध्ययन में वित्तीय लाभ अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों को समय से पहले बेचने की प्रवृत्ति पायी गयी। इसमें निवेशकों में घाटे में सूचीबद्ध शेयरों की तुलना में लाभ वाले आईपीओ शेयरों को बेचने का रुख अधिक दिखाई दिया।

सेबी ने आईपीओ में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और काफी संख्या में बोलियों को देखते हुए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में निवेशक के व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए एक अध्ययन किया है। अध्ययन में अप्रैल, 2021 और दिसंबर, 2023 के बीच सूचीबद्ध 144 आईपीओ के आंकड़े को शामिल किया गया है।

अध्ययन अवधि के दौरान 144 आईपीओ के जरिये सामूहिक रूप से कुल 2.13 लाख करोड़ रुपये जुटाये गये। इसमें कुल निर्गम आकार का 65 प्रतिशत बिक्री पेशकश (ओएफएस) के अंतर्गत था। इसके माध्यम से कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों ने अपनी हिस्सेदारी बेची

सेबी के अध्ययन के मुताबिक ‘‘निवेशकों (एंकर निवेशकों को छोड़कर) को आवंटित लगभग 54 प्रतिशत निर्गम (मूल्य के संदर्भ में) सूचीबद्धता के एक सप्ताह के भीतर बेच दिये गये।’’

व्यक्तिगत निवेशकों ने सूचीबद्ध होने के एक सप्ताह के भीतर उन्हें आवंटित 50.2 प्रतिशत शेयर (मूल्य के संदर्भ में) बेच दिये। वहीं गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) ने 63.3 प्रतिशत शेयर और खुदरा निवेशकों ने 42.7 प्रतिशत शेयर बेचे।

दिलचस्प बात यह है कि व्यक्तिगत निवेशकों ने एक साल के भीतर मूल्य के हिसाब से 70 प्रतिशत शेयर बेच दिये।

दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड आईपीओ शेयरों में लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, जबकि बैंक तेजी से इन्हें बेचते हैं। म्यूचुअल फंड ने एक सप्ताह के भीतर आवंटित मूल्य का लगभग 3.3 प्रतिशत बेचा, जबकि बैंकों ने 79.8 प्रतिशत बेचा।

अध्ययन के अनुसार, रिटर्न का बिक्री पर असर दिखाई दिया। जब आईपीओ पर रिटर्न एक सप्ताह के भीतर 20 प्रतिशत से अधिक रहा, व्यक्तिगत निवेशकों ने मूल्य के हिसाब से 67.6 प्रतिशत शेयर बेचे। इसके विपरीत, जब रिटर्न नकारात्मक था, तब निवेशकों ने मूल्य के हिसाब से केवल 23.3 प्रतिशत शेयर बेचे।

राज्यों के संदर्भ में, गुजरात के खुदरा निवेशकों को श्रेणी में आवंटन का 39.3 प्रतिशत प्राप्त हुआ। इसके बाद महाराष्ट्र (13.5 प्रतिशत) और राजस्थान (10.5 प्रतिशत) का स्थान रहा।

आईपीओ भागीदारी में वृद्धि को डीमैट खातों की बढ़ी हुई संख्या के आधार पर देखा जा सकता है।

अध्ययन के मुताबिक, अप्रैल, 2021 और दिसंबर, 2023 के बीच आईपीओ के लिए आवेदन करने वाले लगभग आधे डीमैट खाते कोविड के बाद की अवधि 2021-2023 के दौरान खोले गए थे।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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