नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिशिपेट्री नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये किया जाने वाला निवेश जनवरी के अंत में घटकर 87,989 करोड़ रुपये रह गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट की वजह से विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख आगे भी बना रहेगा।
पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तरफ से पी-नोट्स उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण के बगैर ही इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये किए गए निवेश का मूल्य जनवरी 2022 के अंत मे 87,989 करोड़ रुपये रहा था। यह दिसंबर 2021 की तुलना में कम है जब 95,501 करोड़ रुपये का निवेश पी-नोट्स के जरिये किया गया था। वहीं नवंबर 2021 के अंत में यह आंकड़ा 94,826 करोड़ रुपये रहा था।
सेबी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में किए गए कुल पी-नोट्स निवेश में 78,271 करोड़ रुपये इक्विटी में किया गया था जबकि 9,485 करोड़ रुपये बांड एवं 232 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में लगाए गए थे।
पंजीकृत पीएमएस पाइपर सेरिका के संस्थापक एवं कोष प्रबंधक अभय अग्रवाल ने कहा कि जनवरी में निफ्टी पर रिटर्न लगभग स्थिर रहने से इक्विटी पी-नोट्स के मूल्य में 7.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों के पूरे महीने बिकवाल बने रहने से ऐसा होना लाजिमी भी था।
इक्विटी पी-नोट्स निवेश 6,677 करोड़ रुपये की शुद्ध गिरावट आने के बाद जनवरी में 78,271 करोड़ रुपये पर आ गया जिस स्तर पर यह जनवरी 2021 में देखा गया था।
बांड खंड में भी पी-नोट्स निवेश के मूल्य में करीब नौ प्रतिशत की गिरावट रही है।
अग्रवाल ने कहा, ‘हमें आशंका है कि फरवरी के महीने में भी पी-नोट्स निवेश नकारात्मक रहेगा। इसकी वजह यह है कि फरवरी में भी एफपीआई ने तगड़ी बिकवाली की और निफ्टी में तीन प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।’
उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट ने पहले से ही भयभीत विदेशी निवेशकों को और दबाव में ला दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि एफपीआई यूक्रेन संकट पर स्थिति साफ नहीं होने तक अपने शुद्ध नकारात्मक रुख को जारी रखेंगे। इस बीच राहत की बात एलआईसी का आने वाला आईपीओ है।’
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प्रेम रमण
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