नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आर्थिक समीक्षा 2024-25 में सुझाव दिया गया है कि भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा पहल को मजबूत करने के लिए व्यापक ग्रिड अवसंरचना सुधारों और महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए।
संसद में शुक्रवार को पेश किए गए दस्तावेज के मुताबिक, भारत दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे कम ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करने वालों में शामिल है। इसके बावजूद, देश ने अपनी ऊर्जा खपत के तहत होने वाले उत्सर्जन को कम करने में काफी प्रगति की है।
इसमें कहा गया कि यह प्रगति काफी हद तक ऊर्जा संरक्षण उपायों के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बढ़ने के कारण है।
समीक्षा में हालांकि यह भी कहा गया कि नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में काफी बाधाएं हैं। खासकर ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों और इस बदलाव के लिए जरूरी महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति को लेकर यह साफ दिखता है।
हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक समाधान मध्यम अवधि के लिए एक व्यवहार्य विकल्प पेश करते हैं, लेकिन इसे अपनाने की दिशा में इसकी लागत को लेकर बाधा बनी हुई है।
समीक्षा में यह भी कहा गया कि परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा जरूरतों में योगदान कर सकती है, लेकिन इसका विस्तार एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र की कमी और परमाणु ईंधन आपूर्ति श्रृंखलाओं पर एकाधिकार के चलते बाधित है।
इसके मुताबिक, बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा का दोहन करने से जुड़ी चुनौतियों से संकेत मिलता है कि भारत को मध्यम अवधि में अपने मौजूदा जीवाश्म ईंधन संसाधनों की क्षमता को अधिकतम करना होगा।
भाषा पाण्डेय अजय
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