नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) बीमा नियामक इरडा ने शुक्रवार को बीमा कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो को जोखिम से बचाने के लिए इक्विटी वायदा एवं विकल्प (डेरिवेटिव) का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी।
भारतीय बीमा विकास और विनियामक प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से मिले ज्ञापन के बाद ‘इक्विटी डेरिवेटिव’ के माध्यम से जोखिम से बचाव पर दिशानिर्देश’ जारी किए।
इरडा ने कहा, ‘इस कदम का उद्देश्य बीमा कंपनियों को इक्विटी बाजार में अस्थिरता के खिलाफ अपने मौजूदा इक्विटी निवेश को जोखिम से बचाने और इक्विटी निवेश के बाजार मूल्य का संरक्षण सुनिश्चित करना है ताकि शेयर पोर्टफोलियो में जोखिम को कम करने की सुविधा दी जा सके।’
मौजूदा नियामकीय ढांचे के तहत इरडा बीमा कंपनियों को फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट्स (एफआरए), ब्याज दर अदलाबदली और एक्सचेंज ट्रेडेड ब्याज दर वायदा (आईआरएफ) के रूप में ‘रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव’ में सौदा करने की अनुमति देता है।
इसके अलावा बीमाकर्ताओं को क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) में भी सौदा करने की अनुमति है।
नियामक ने कहा, ‘चूंकि बीमाकर्ताओं द्वारा इक्विटी बाजार में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ रही है लिहाजा इक्विटी कीमतों में अस्थिरता को देखते हुए इक्विटी डेरिवेटिव के जरिये जोखिम से बचाव की अनुमति देने की जरूरत महसूस की जा रही है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य बीमाकर्ताओं को जोखिम प्रबंधन और पोर्टफोलियो विविधीकरण के लिए बेहतर अवसर प्रदान करना है।’
अब बीमाकर्ता अपने जोखिम और स्थिति सीमाओं के अधीन इक्विटी में अपनी शेयरधारिता के मुकाबले शेयर और इंडेक्स वायदा एवं विकल्प में जोखिम से बचाव कर सकेंगे। इक्विटी डेरिवेटिव का इस्तेमाल सिर्फ जोखिम से बचने के लिए किया जाएगा।
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