मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि दीर्घकालिक कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए बीज क्षेत्र में नवोन्मेषण जरूरी है।
उन्होंने कहा कि राज्य का लक्ष्य अगले दो से तीन साल में 25 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाना है, इसलिए बीज कंपनियों को ऐसी खेती प्रणालियों के अनुकूल किस्में विकसित करनी चाहिए।
उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में एशियाई बीज कांग्रेस- 2025 के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि दीर्घकालिक स्तर पर कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए बीज क्षेत्र में नवाचार आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भारत का बीज बाजार दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक है, जिसका वर्तमान अनुमानित आकार लगभग 7.8 अरब डॉलर का है और वर्ष 2030 तक इसके लगभग 19 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्राज़ील के बाद भारत दुनिया भर में पांचवें स्थान पर है और देश में इस्तेमाल होने वाले 95 प्रतिशत से ज़्यादा बीज घरेलू स्तर पर ही उत्पादित किए जाते हैं। यह सीधे तौर पर ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को मज़बूत करता है।’’
कृषि पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव की ओर इशारा करते हुए फडणवीस ने कहा कि जलवायु सहिष्णु और जलवायु-प्रतिरोधी बीज किस्मों की मांग बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि जलवायु अनुकूल कृषि के लिए रासायनिक आदानों पर निर्भरता कम करना और नवीन बीज तकनीकों को अपनाना बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार बीज क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठा रही है, जिसमें अनिवार्य प्रमाणीकरण, डिजिटल ट्रेसेबिलिटी, सुव्यवस्थित पंजीकरण और नकली बीजों के ख़िलाफ़ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई शामिल है। ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी बीज आपूर्ति प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगी।’’
महाराष्ट्र की पहल पर प्रकाश डालते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने देश की पहली महा कृषि एआई नीति तैयार की है और एआई-संचालित कृषि योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक कोष आवंटित किया है।
फडणवीस ने बताया कि एग्रीस्टैक, महावेध और क्रॉपएसएपी जैसे डिजिटल मंच ने एक विशाल कृषि-डेटाबेस के निर्माण को संभव बनाया है जो खेती को अधिक वैज्ञानिक और उत्पादक बना सकता है।
फडणवीस ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाना और जलवायु अनुकूल कृषि सुनिश्चित करना साझा लक्ष्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय कृषि का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब सरकार और बीज उद्योग मिलकर काम करेंगे। देश भर की बीज कंपनियों को स्वच्छ पौध कार्यक्रम, स्वदेशी किस्मों के संरक्षण और आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने जैसी पहल में राज्य के साथ साझेदारी करनी चाहिए।’’
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने घोषणा की कि केंद्र आगामी बजट सत्र के दौरान घटिया और अनधिकृत बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक नया बीज अधिनियम पेश करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि बागवानी फसलों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री सुनिश्चित करने के लिए महाराष्ट्र में तीन स्वच्छ पौध केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
किसानों को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए चौहान ने बीज कंपनियों से किसानों के हितों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘दलहन और तिलहन में निजी क्षेत्र की कम भागीदारी ने भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ा दी है। इन क्षेत्रों में बीज उद्योग की अधिक भागीदारी होनी चाहिए।’’
चौहान ने कहा कि बीज उत्पादन और वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी बीज कंपनियों को अपना 100 प्रतिशत डेटा ‘साथी’ पोर्टल पर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।
उन्होंने गर्मी और जलवायु के अनुकूल बीज किस्मों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
चौहान ने कहा, ‘‘सरकार और निजी क्षेत्र, दोनों को किसानों के हित में मिलकर काम करना चाहिए। बीज उद्योग केवल लाभ कमाने वाला व्यवसाय नहीं है, बल्कि भारत और दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है।’’
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