मुंबई, 24 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उद्योग जगत से ‘मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी से आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत’ बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने इंडिया इस्पात 2025 कार्यक्रम को ‘ऑनलाइन’ संबोधित करते हुए यह भी कहा कि देश को कच्चे माल की सुरक्षा के लिए अपनी वैश्विक भागीदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने उद्योग से इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त नयी खदानों से लौह अयस्क निकालना शुरू करने का भी आह्वान किया।
मोदी ने इस्पात को ‘उभरता हुआ क्षेत्र’ बताते हुए इसका उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता बतायी, जो विकास की ‘रीढ़’ है। उन्होंने नई प्रक्रियाओं को अपनाने, नवोन्मेष करने, सर्वोत्तम गतिविधियों का आदान-प्रदान करने और कोयले का आयात कम करने पर भी विचार करने को कहा।
मोदी ने इस्पात उद्योग के प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में कहा, ‘‘आइए, हम एक मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।’’
उन्होंने स्वीकार किया कि कच्चा माल प्राप्त करना इस्पात क्षेत्र के लिए एक ‘बड़ी चिंता’ है। उन्होंने सभी से वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने और आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा, ‘‘एक बड़ी चिंता कच्चे माल की सुरक्षा है। हम अभी भी निकल, कोकिंग कोयला और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर हैं। और इसीलिए, हमें वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना चाहिए, आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’
मोदी ने कहा कि कई नयी खदानें हैं, जिनका उपयोग नहीं हो पाया है। उनका उचित और समय पर उपयोग किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा नहीं होने पर देश और उद्योग दोनों को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि देश को कोयला गैसीकरण (कोयला से गैस बनाना) और कोयला आयात को कम करने के लिए अपने भंडार के बेहतर उपयोग जैसे विकल्पों की भी तलाश करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योग को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए और नई प्रक्रियाओं, नये स्तर और नये पैमाने को अपनाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि देश का लक्ष्य 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 17.9 करोड़ टन था। साथ ही प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत भी इसी अवधि में वर्तमान 98 किलो से बढ़ाकर 160 किलो करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि देश 1,300 अरब डॉलर की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन को भी ‘आगे बढ़ा रहा है’ और शहरों को बड़े पैमाने पर स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए ‘व्यापक कार्य चल रहा है’।
मोदी ने कहा, ‘‘सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइन में विकास की गति इस्पात क्षेत्र के लिए नये अवसर उत्पन्न कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं की बढ़ती संख्या उच्च स्तर के इस्पात की मांग को बढ़ाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत और चंद्रयान मिशन में इस्तेमाल किया गया इस्पात स्थानीय स्तर पर विनिर्मित किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश निर्यात बाजार पर नजर रखते हुए आधुनिक और बड़े जहाज बनाने की महत्वाकांक्षा रखता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों के लिए उच्च श्रेणी के इस्पात की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि इस्पात के मामले में लक्ष्य आयात को शून्य स्तर पर लाने और शुद्ध निर्यात को बढ़ावा देने पर होना चाहिए। देश का लक्ष्य 2047 तक इस्पात के मौजूदा 2.5 करोड़ टन निर्यात को बढ़ाकर 50 करोड़ टन करना है।
मोदी ने कहा कि भारत न केवल घरेलू वृद्धि के बारे में, बल्कि इस क्षेत्र में ‘वैश्विक नेतृत्व’ के बारे में भी सोच रहा है। दुनिया भारत को उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देखती है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पीएम आवास योजना और जल जीवन मिशन जैसी कल्याणकारी योजनाएं भी इस्पात क्षेत्र के लिए अवसर पैदा करने में मदद कर रही हैं।
मोदी ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ा रही सरकार अपने अनुबंधों में स्थानीय रूप से विनिर्मित इस्पात के उपयोग पर जोर दे रही है। सरकार की नीतियां इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रही हैं।
उन्होंने निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से विनिर्माण, प्रौद्योगिकी को आधुनिक रूप देने और अनुसंधान एवं विकास में नये कदम उठाने और सबसे अच्छी गतिविधियों को आपस में साझा करने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा, ‘‘हमें ऊर्जा दक्षता, कम उत्सर्जन और डिजिटल रूप से उन्नत प्रौद्योगिकियों की ओर तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा, स्वचालन, पुनर्चक्रण और उप-उत्पादों का उपयोग इस्पात उद्योग के भविष्य को परिभाषित करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस्पात क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें देश के युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने की क्षमता है।
भाषा
रमण मनीषा
मनीषा
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