नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) वैश्विक बाजार में एकीकरण के संबंध में भारत दो प्रमुख मापदंडों…जीडीपी के अनुपात में निर्यात और सेवा निर्यात… पर चीन से आगे निकल गया है। एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई।
डीएचएल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस की तरफ से यहां जारी ‘न्यू डीएचएल ग्लोबल कनेक्टेडनेस रिपोर्ट-2024’ में कहा गया है कि 2021 के बाद से भारत का जीडीपी के अनुपात में निर्यात चीन से अधिक हो गया है। जबकि निर्यात और आयात दोनों के मामले में देश का सेवा व्यापार की तीव्रता भी बहुत अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 और 2022 में जीडीपी के हिस्से के रूप में भारत का निर्यात और आयात तेजी से बढ़ा।
देश में वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद का 23 प्रतिशत (2020 में 19 प्रतिशत से अधिक) और वस्तुओं और सेवाओं के आयात का हिस्सा जीडीपी के 26 प्रतिशत (2020 में 19 प्रतिशत से भी अधिक) पर पहुंच गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सेवा व्यापार तीव्रता निर्यात और आयात दोनों के मामले में चीन से कहीं अधिक है।
हालांकि, जहां तक वस्तु व्यापार का संबंध है, भारत में सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में आयात अधिक होता है जबकि चीन में निर्यात की हिस्सेदारी अधिक है।
डीएचएल एक्सप्रेस के दक्षिण एशिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आरएस सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘हालांकि, वैश्विक स्तर पर जुड़ाव के मामले में भारत की रैंकिंग इसकी वर्तमान आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। रिपोर्ट यह साफ करती है कि दुनिया आने वाले वर्षों में भारत की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी में कई गुना वृद्धि देखने की उम्मीद कर सकती है।’’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वैश्वीकरण 2022 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया और कोविड-19 महामारी, यूक्रेन तथा गाजा में युद्ध और अमेरिका-चीन व्यापार संघर्ष जैसे विभिन्न वैश्विक झटकों के बावजूद 2023 में भी लगभग ऊंचा बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के लिए गहन वैश्विक एकीकरण की अपार संभावनाएं देख रहे हैं और वास्तव में, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर तेजी अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का अवसर है। भारत के दूसरे देशों के साथ व्यापार संबंध महत्वपूर्ण विस्तार के लिए तैयार है।’’
भाषा रमण अजय
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