मुंबई, 19 नवंबर (भाषा) भारत के अंतरनगरीय (शहरों के बीच) बस उद्योग ने इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान सालाना आधार पर 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 14 करोड़ यात्रियों के आंकड़े को पार किया।
रेडबस की नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 11.2 करोड़ थी। बसों की संख्या बढ़ने और नए परिचालकों के आने के कारण यह वृद्धि हुई।
रेडबस की ‘बसट्रैक’ रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि के साथ ही 6,000 से अधिक सक्रिय निजी बस परिचालकों का टिकट मूल्य 13,200 करोड़ रुपये रहा।
रेडबस के मंच से जुड़े पूरे भारत के अंतरनगरीय बस उद्योग के आंकड़ों को शामिल करने वाली इस रिपोर्ट से पता चला कि स्लीपर और हाइब्रिड बसों की 85 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। इसी तरह समीक्षाधीन छमाही में बेचे गए कुल टिकटों में 71 प्रतिशत वातानुकूलित श्रेणी के थे।
रेडबस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) प्रकाश संगम ने कहा कि सालाना आधार पर 25 प्रतिशत की यह वृद्धि मौजूदा बस परिचालकों के अपने बेड़े को बढ़ाने और नए परिचालकों के आने से हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘वातानुकूलित बसों के प्रति लोगों की पसंद में भी स्पष्ट बदलाव देखने को मिल रहा है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में भारत में अंतरनगरीय बसों की 76 प्रतिशत सीटें भरी रहीं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सबसे अधिक 84 प्रतिशत सीटें भरी, जबकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 63 प्रतिशत सीटें भरी गईं।
भाषा पाण्डेय अजय
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