नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) वैश्विक परामर्श फर्म ईवाई ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
ईवाई ने कहा कि कच्चे तेल की कम कीमतों से मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा। ऐसे में वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने के बावजूद घरेलू वृद्धि को सहारा मिलने की उम्मीद है।
अप्रैल के लिए जारी ‘ईवाई इकोनॉमी वॉच’ रिपोर्ट में चार प्रमुख परस्पर-संबद्ध प्रभावों की पहचान की गई है, जिनका भारत की वृद्धि पर असर पड़ेगा। ये प्रभाव – निर्यात में कमी, वैश्विक मंदी, कच्चे तेल की गिरती कीमतें और वैश्विक अतिरिक्त उत्पादन क्षमताएं हैं।
परामर्श फर्म ने कहा कि सही राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के साथ ही अगर उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे बनी रही तो भारत वित्त वर्ष 2025-26 में और मध्यम अवधि में भी लगभग 6.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को बनाए रखने में कामयाब हो सकता है।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा, ”हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 60-65 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेंगी, जो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।”
उच्च शुल्क और कमजोर वैश्विक मांग के कारण निर्यात धीमा हो सकता है, लेकिन भारत की वृद्धि में निर्यात की कम भूमिका को देखते हुए समग्र जीडीपी प्रभाव सीमित हो सकता है। हालांकि, वैश्विक मंदी दुनिया भर में वृद्धि को बाधित कर सकती है, लेकिन भारत की अपेक्षाकृत मजबूत राजकोषीय स्थिति और मौद्रिक लचीलापन प्रोत्साहन के लिए गुंजाइश देता है।
परामर्श फर्म ने चेतावनी दी है कि प्रमुख निर्यातक देशों में अतिरिक्त उत्पादन क्षमता के चलते डंपिंग का जोखिम पैदा हो सकता है, जिससे भारत को सावधान रहने की जरूरत है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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