नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दे दिया है, जो अबतक का उसका 16वां ऐसा समझौता है। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।
जिन अन्य क्षेत्रों और देशों के साथ भारत ने ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें चार देशों का यूरोपीय ब्लॉक ईएफटीए, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
भारत ने साल 2014 से मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया, ईएफटीए और ब्रिटेन के साथ पांच ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
साथ में, ये व्यापार समझौते 90 से अधिक देशों के साथ तरजीही संबंध सुनिश्चित करते हैं।
मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यवस्था है, जिसके तहत वे अपने बीच व्यापार वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को या पूरी तरह समाप्त करने या कम करने पर सहमत होते हैं। इसके अलावा, इसके तहत भागीदार देश आयात के महत्वपूर्ण मूल्य पर गैर-व्यापार बाधाओं को कम करने और सेवा निर्यात तथा द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने पर भी सहमत होते हैं।
इन समझौतों के अंतर्गत 10 से 30 विषय शामिल हैं। दुनियाभर में वर्तमान में 350 से अधिक एफटीए लागू हैं और अधिकांश देशों ने एक या अधिक ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इन समझौतों का वर्णन करने के लिए कभी-कभी एफटीए, पीटीए या आरटीए जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) सभी प्रकार के अधिमान्य आर्थिक संबंधों को दर्शाने के लिए संक्षिप्त नाम आरटीए (क्षेत्रीय व्यापार समझौता) का उपयोग करता है। कुल 166 सदस्यों वाला जिनेवा स्थित यह संगठन निर्यात और आयात से संबंधित मुद्दों के लिए वैश्विक निगरानी संस्था है। भारत 1995 से इसका सदस्य है।
यदि दो या दो से अधिक देश निर्दिष्ट संख्या में वस्तुओं पर शुल्क कम करने या समाप्त करने के लिए सहमत होते हैं, तो इसे तरजीही व्यापार समझौता (पीटीए) या अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (भारत-थाइलैंड) कहा जाता है।
कुछ समझौतों को सीईपीए (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता – भारत-सिंगापुर) या सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता – भारत- दक्षिण कोरिया) या बीटीआईए (द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता – भारत-ईयू) या टीईपीए (व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता) भी कहा जाता है।
इन व्यापक या नए युग के समझौतों में वस्तुएं, सेवाएं, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सरकारी खरीद, व्यापार सुविधा, व्यापार उपाय और सीमा शुल्क सहयोग जैसे विषय शामिल हैं।
साझेदार देशों के बाजारों में शून्य-शुल्क प्रवेश से निर्यात बाजारों के विविधीकरण और विस्तार में मदद मिलती है।
भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, 10 देशों के समूह आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) और चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए (आइसलैंड, लीश्टेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड) के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके अलावा, भारत वर्तमान में अपने कई व्यापारिक साझेदारों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। अमेरिका, ओमान, यूरोपीय संघ (ईयू), पेरू और इजरायल के साथ बातचीत चल रही है।
कनाडा के साथ इसी तरह के समझौते के लिए बातचीत कुछ राजनीतिक मुद्दों के कारण रोक दी गई थी।
भाषा अजय अनुराग
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