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Monday, 3 November, 2025
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वर्ष 2030 तक 300 अरब डॉलर की हो सकती है भारत की जैव-अर्थव्यवस्थाः नीति आयोग रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) देश की तेजी से बढ़ रही जैव-अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक 300 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकती है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।

किसी भी देश की जैव-अर्थव्यवस्था में कृषि, वानिकी, मत्स्य और जलीय कृषि समाहित होते हैं।

रिपोर्ट कहती है कि किसी भी देश की संप्रभुता के लिए एक मजबूत कृषि प्रणाली बहुत जरूरी है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा की मूलभूत गारंटी सुनिश्चित करती है।

कृषि के नए स्वरूप पर केंद्रित इस रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि का तकनीकी रूपांतरण भारत के वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के केंद्र में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया, “खाद्य उत्पादन से आगे बढ़ते हुए भारत की कृषि प्रणाली आर्थिक वृद्धि का एक मजबूत इंजन बनने की क्षमता रखती है। तेजी से बढ़ रही जैव-अर्थव्यवस्था के 2030 तक 300 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।”

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “हम खेती के हर चरण में प्रौद्योगिकी को समाहित करने वाली एक सहज पारिस्थितिकी तैयार कर रहे हैं। ये नवाचार किसानों को फसल रोगों से निपटने, उत्पादकता बढ़ाने और नई पीढ़ी के बीजों व उपकरणों को अपनाने में मदद कर रहे हैं जिससे लागत घट रही है। डिजिटल एकीकरण केवल दक्षता बढ़ाने का माध्यम नहीं है, यह किसानों को सशक्त भी बना रहा है।”

रिपोर्ट में जलवायु-प्रतिरोधी बीज, सटीकता-आधारित कृषि, डिजिटल ट्विन्स, एजेंटिक एआई और उन्नत मशीनों के इस्तेमाल जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों के जरिये उत्पादकता, स्थिरता और आय में वृद्धि का रणनीतिक दृष्टिकोण पेश किया गया है।

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी. वी. आर. सुब्रमण्यम ने कहा, “भारत में कोई भी दो किसान समान नहीं हैं, इसलिए प्रौद्योगिकी को भी यह विविधता ध्यान में रखते हुए ढाला जाना चाहिए। असली प्रभाव उस समय आएगा जब समाधान छोटे किसानों से लेकर वाणिज्यिक कृषकों तक, सबकी जरूरतों के हिसाब से तैयार किए जाएं।”

रिपोर्ट में किसानों को तीन वर्गों- आकांक्षी (70–80 प्रतिशत), संक्रमणकालीन (15–20 प्रतिशत) और उन्नत (1–2 प्रतिशत) में बांटकर उसके हिसाब से व्यावहारिक समाधान सुझाए गए हैं।

नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि भारत उचित नीतिगत हस्तक्षेपों से कृषि क्षेत्र में नई स्थायित्व क्षमता, समावेशी ग्रामीण समृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का नया स्तर हासिल कर सकता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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