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Wednesday, 19 February, 2025
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भारत के औसत आयात शुल्क 2014 की तुलना में लगभग दोगुना हुआ, आयात में आई तेज़ी

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नई दिल्ली: भारत में औसत आयात शुल्क (इंपोर्ट टैरिफ) 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद लगभग दोगुना हो गया है, लेकिन इसके बावजूद हाल के वर्षों में आयात तेजी से बढ़ा है. दिप्रिंट के विश्लेषण में यह सामने आया है.

विशेष रूप से उन वस्तुओं को देखने पर, जिन पर आयात शुल्क बढ़ाया गया, यही रुझान नजर आता है—टैक्स बढ़ाने के बावजूद आयात कम नहीं हुआ.

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास (यूएनसीटीएडी) और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) द्वारा विश्व टैरिफ प्रोफाइल में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत में आयातित वस्तुओं पर व्यापार-औसत भारित टैरिफ 12 प्रतिशत था. 2014 में यह आंकड़ा सात प्रतिशत था.

फिर भी, भारत का कुल व्यापारिक आयात 2023-24 में 678 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2014 की तुलना में करीब 1.5 गुना ज्यादा है.

असल में, भारत का सबसे कम व्यापार-भारित आयात शुल्क 6.2 प्रतिशत था, जो 2013 में था. यह साल कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार का आखिरी पूरा कार्यकाल था, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे.

फिर भी, 2023-24 में भारत का कुल माल आयात 678 बिलियन डॉलर रहा, जो 2014 के मुकाबले लगभग 1.5 गुना है.

वास्तव में, भारत में सबसे कम व्यापार-औसत भारित टैरिफ – 6.2 प्रतिशत – 2013 में था, जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार का आखिरी पूर्ण वर्ष था.

भारत के साथ ट्रंप की टैरिफ संबंधी परेशानियां

व्यापार-भारित औसत शुल्क का मतलब किसी उत्पाद पर लगने वाले कुल कस्टम टैक्स का प्रतिशत होता है, जो उस उत्पाद के कुल आयात मूल्य के मुकाबले देखा जाता है. भारत में यह शुल्क कृषि और गैर-कृषि दोनों तरह के उत्पादों पर लगाया जाता है. लेकिन, इन दोनों में शुल्क दरों में काफी बड़ा अंतर होता है.

Trade-weighted average tariffs on agricultural products | Manali Ghosh | ThePrint

 

Trade-weighted average tariffs on non-agricultural products | Manali Ghosh | ThePrint

उदाहरण के लिए, 2023 में कुल आयातित वस्तुओं पर व्यापार-भारित औसत शुल्क 12 प्रतिशत था, लेकिन कृषि उत्पादों पर यह 65 प्रतिशत था, जबकि गैर-कृषि उत्पादों पर यह केवल 9 प्रतिशत था.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत की टैरिफ नीति पर आपत्ति जताते हुए इसे “टैरिफ किंग” कहा और पिछले हफ्ते अपनी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी से निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने पर जोर दिया. भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने और इस साल शरद ऋतु (Autumn) तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के “पहले चरण” को पूरा करने पर सहमति जताई है.

ट्रंप का दावा है कि भारत अमेरिकी उत्पादों, खासकर मोटर वाहनों पर 70 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाता है. 2023-24 में, भारत ने अमेरिका को 77 अरब डॉलर मूल्य का माल निर्यात किया, जबकि अमेरिका से 42.1 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया. यह व्यापार घाटा अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

आंकड़ों से पता चलता है कि भारत अपने व्यापारिक साझेदारों, खासकर अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर कम टैक्स लगाता है.

वर्ल्ड टैरिफ प्रोफाइल्स के अनुसार, 2022 में अमेरिकी सरकार ने भारतीय गैर-कृषि उत्पादों पर औसत 2.7 प्रतिशत व्यापार-भारित शुल्क लगाया था, जबकि 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान यह 3.1 प्रतिशत था.

राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान, अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर व्यापार-भारित औसत शुल्क 2.9 प्रतिशत रखा, जो 2020 में घटकर 2.7 प्रतिशत रह गया. पिछले महीने अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने वाले ट्रंप ने कहा है कि वह “पारस्परिक टैरिफ” (रेसिप्रोकल टैरिफ) लागू करेंगे, ताकि अमेरिका के लिए निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित किया जा सके.

कुछ टैरिफ कटौतियों से आयात में आई तेजी

पिछले दस वर्षों में भारत के आयात में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार-भारित औसत शुल्क भी बढ़े हैं. 2012 में भारत का कुल आयात 490.7 बिलियन डॉलर था, जो 2023-24 के वित्तीय वर्ष में बढ़कर 678.2 बिलियन डॉलर हो गया.

India's rising tariffs haven't slowed imports | Manali Ghosh | ThePrint

2012 में व्यापार-भारित औसत शुल्क 7 प्रतिशत था, जो 2023 में बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया. हालांकि, 2013 में यह शुल्क घटकर 6.2 प्रतिशत रह गया, जबकि भारत का कुल आयात 450.2 बिलियन डॉलर था. 2015 और 2016 में भारतीय आयात 400 बिलियन डॉलर से भी नीचे गिरकर क्रमशः 381 बिलियन डॉलर और 384.3 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि औसत शुल्क 7.6 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत था.

2019 में मोदी सरकार के कार्यकाल में व्यापार-भारित औसत आयात शुल्क अपने सबसे निचले स्तर 7 प्रतिशत पर पहुंच गया। उसी साल के बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोल्ड-रोल्ड ग्रेन-ओरिएंटेड (CRGO) स्टील के निर्माण में उपयोग होने वाले कुछ खास इनपुट्स पर शुल्क को 5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया.

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस सीमा शुल्क में कटौती से इन उत्पादों के आयात में वृद्धि हुई. जिस साल सीतारमण ने यह घोषणा की, उस वर्ष भारत ने इन स्टील इनपुट्स का 1.336 बिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया, जो 2022-23 में बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर और 2023-24 में 1.85 बिलियन डॉलर हो गया.

सीतारमण के मुताबिक, CRGO स्टील इनपुट्स पर सीमा शुल्क में कटौती सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल का हिस्सा थी। यानी, सरकार की रणनीति भारत में निर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कच्चे माल पर शुल्क घटाने की रही है.

हालांकि, कुछ खास वस्तुओं पर शुल्क में कटौती से भारत के कुल औसत शुल्क को कम करने में मदद नहीं मिली है.

इसके विपरीत, कुछ ऐसे उत्पाद भी हैं जिन पर सरकार ने शुल्क बढ़ाया, लेकिन इससे उनके आयात में कोई खास कमी नहीं आई. 2019-20 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) पर शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था. बजट दस्तावेजों के अनुसार, इसका मकसद घरेलू निर्माताओं को बढ़ावा देना था.

उस वित्तीय वर्ष में भारत ने लगभग 2.2 बिलियन डॉलर मूल्य के पॉलीविनाइल क्लोराइड उत्पादों का आयात किया था. लेकिन 2023-24 तक इसका आयात 41 प्रतिशत बढ़कर 3.1 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे साफ होता है कि बढ़े हुए शुल्क का अपेक्षित असर नहीं हुआ.

अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच पॉलीविनाइल क्लोराइड का आयात 2.24 बिलियन डॉलर रहा, जो कि 2019-20 में लगाए गए उच्च शुल्क के बावजूद उसी साल के कुल आयात के बराबर था.

इसी तरह, 2019-20 में वित्त मंत्री ने प्लास्टिक फ्लोर कवर और सीलिंग कवर पर शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया था. 2019-20 में इन वस्तुओं का कुल आयात लगभग 63 मिलियन डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 65.3 मिलियन डॉलर हो गया और उससे पिछले साल 68 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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