नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) भारत के खिलौना निर्यातक अमेरिका द्वारा चीन के आयात पर लगाए गए भारी शुल्क तथा चीनी वस्तुओं पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों पर नजर रखने वाले अमेरिकी खरीदारों की बढ़ती पूछताछ से उभरने वाले ‘सुनहरे अवसर’ का लाभ उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
भारतीय खिलौना संघ ने अनुपालन जरूरतों को पूरा करते हुए अमेरिकी बाजार में निर्यात करने की क्षमता रखने वाली लगभग 40 कंपनियों को चिह्नित किया है।
संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वर्तमान में, लगभग 20 कंपनियां अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में खिलौनों का निर्यात करती हैं।
उन्होंने कहा, “हमें पिछले एक महीने में अमेरिकी खिलौना खरीदारों से अधिक पूछताछ मिल रही है। कुछ भारतीय निर्यात घरानों ने भी हमसे संपर्क किया है और उन विनिर्माताओं की सूची मांगी है जो अमेरिकी नियमों और विनियमों के अनुसार खिलौना उत्पाद बना सकते हैं। वे अमेरिकी खिलौना बाजार की अनुपालन जरूरतों को पूरा करने में सक्षम ‘व्हाइट लेबलिंग’ (दूसरी कंपनी के उत्पाद को अपने नाम से बेचने वाले) और मूल उपकरण विनिर्माताओं की तलाश कर रहे हैं।”
जीएमआई रिसर्च के अनुसार, अमेरिका का खिलौना बाजार 2024 में 42.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया और 2032 में इसके 56.9 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह 2025-2032 तक 3.6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा, जो शैक्षिक और संवादात्मक खिलौनों के प्रति उपभोक्ताओं की वरीयताओं में बदलाव से प्रेरित है।
अग्रवाल ने कहा, “अमेरिका खिलौनों के लिए एक बड़ा बाजार है और अगर चीन पर उच्च शुल्क लगाया जाए और भारत पर कम शुल्क लगाया जाए तो हमें फायदा होगा।”
उन्होंने कहा, “खिलौना क्षेत्र में भारत की करीब 20 कंपनियां पहले से ही अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात कर रही हैं। अगर हमें अन्य देशों की तुलना में कम दरों के मामले में शुल्क का लाभ मिलता है, तो हम अमेरिकी बाजार में भारतीय खिलौनों की उपस्थिति बढ़ा सकते हैं।”
भाषा अनुराग अजय
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