नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) कपड़ा उद्योग ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के बांग्लादेश सहित कई देशों पर उच्च शुल्क लगाने का फैसला भारतीय कपड़ा एवं परिधान निर्यातकों के लिए अच्छे संकेत हैं। इससे कीमत के मोर्चे पर भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और और वे अमेरिकी में अपनी पहुंच बढ़ा पाएंगे।
कपड़ा उद्योग का शीर्ष निकाय ‘कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्साटाइल इंडस्ट्रीज’ (सीआईटीआई) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, ‘‘हम शुल्क-संबंधी घोषणाओं की प्रगति और उसके क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रख रहे हैं। यह घोषणा कई देशों से संबंधित हैं जो कपड़ा और परिधान निर्यात क्षेत्र में हमारे प्रतिस्पर्धी हैं।’’
मेहरा ने कहा, ‘‘अमेरिका के बांग्लादेश सहित कई देशों पर उच्च शुल्क लगाने का फैसला भारतीय कपड़ा एवं परिधान निर्यातकों के लिए अच्छे संकेत हैं। इससे कीमत के मोर्चे पर भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और और वे अमेरिकी में अपनी पहुंच बढ़ा पाएंगे।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को जापान, दक्षिण कोरिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, ट्यूनीशिया पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। वहीं दक्षिण अफ्रीका, बोस्निया-हर्जेगोविना पर 30 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, बांग्लादेश, सर्बिया पर 35 प्रतिशत, कम्बोडिया, थाइलैंड पर 36 प्रतिशत और लाओस और म्यांमा पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया।
ये शुल्क एक अगस्त से लागू होंगे।
परिधान बनाने वाली और निर्यातक कंपनी सीटीए अपैरल्स प्राइवेट लि. के चेयरमैन डॉ. मुकेश कंसल ने कहा, ‘‘अमेरिका के बांग्लादेश से आयात पर 35 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा निश्चित रूप से भारतीय निर्यातकों के लिए सकारात्मक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वास्तविक स्थिति क्या होती है। फिलहाल शुल्क मुद्दों पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी…।’’
अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के बारे में मेहरा ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल्दी एक शुरुआती व्यापार समझौता होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘…हमारा मानना है कि प्रस्तावित समझौता भारत के कपड़ा क्षेत्र में व्यापक सकारात्मक बदलाव ला सकता है और 2030 तक भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।’’
बांग्लादेश 2024 में 13.15 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ अमेरिका को परिधान (बिना बुना हुआ) का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक रहा। इस क्षेत्र में भारत का अमेरिका को निर्यात 2.5 अरब डॉलर था। भारत इस मामले में शीर्ष तीन देशों में शामिल नहीं है।
भाषा रमण अजय
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