नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) भारतीय निवेशक अब सिर्फ एक-दो शेयर बाजारों में निवेश तक सीमित न रहते हुए अमेरिकी इक्विटी, सूचकांक और क्षेत्र आधारित ईटीएफ, निजी बाजार के अवसरों सहित विदेशी बाजारों में अपनी भागीदारी लगातार बढ़ा रहे हैं।
वेस्टेड फाइनेंस की ‘हाउ इंडिया इन्वेस्ट्स ग्लोबली 2025’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी। इससे पोर्टफोलियो बनाने के लिए अधिक सुनियोजित तरीका और वैश्विक बाजार में भागीदारी को लेकर बढ़ते भरोसे का पता चलता है।
रिपोर्ट के मुताबिक शोध, डिजिटल साधनों और शिक्षा तक व्यापक पहुंच ने इस बदलाव को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। महानगरों से बाहर के शहरों में खासतौर से ऐसा देखा जा रहा है।
इसके अलावा, रुपये में जारी गिरावट ने वैश्विक निवेश को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि रुपये का लगातार कमजोर होना दीर्घकालिक नतीजों को प्रभावित करता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि विदेशी इक्विटी और ऋण में निवेश वित्त वर्ष 2018-19 में 42.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इस तरह इसमें चार गुना वृद्धि हुई है।
भाषा पाण्डेय रमण
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