नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने मंगलवार को कहा कि भारतीय निर्यात खेप धीरे-धीरे लाल सागर मार्ग से फिर से गुजरने लगी हैं।
क्षेत्रीय तनाव के कारण यह मार्ग महीनों बाधित रहा था। अब धीरे-धीरे इस मार्ग से वस्तुओं की आवाजाही हो रही है जो निर्यात में सुधार का संकेत है।
पिछले साल, लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण पोत परिवहन मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की स्थिति यमन के हूती आतंकवादियों के हमलों के कारण बिगड़ गया था।
हमलों के कारण, पोत अफ्रीकी महाद्वीप से जुड़े केप ऑफ गुड होप के माध्यम से सामान ले जा रहे थे। इसके परिणामस्वरूप लगभग 14 से 20 दिन की देरी हो रही थी और माल ढुलाई और बीमा लागत बढ़ रही थी।
फियो (फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘वस्तुओं का निर्यात धीरे-धीरे इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग से होने लगा है। इससे परिवहन में लगने वाला समय कम होगा।’’
उन्होंने यह भी कहा कि चीन से जहाज की मांग में गिरावट के कारण माल ढुलाई दरें स्थिर हो गई हैं।
यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार व्यापार लाल सागर के रास्ते होता है और अमेरिका के साथ भी काफी व्यापार इसी रास्ते से होता है। इन दोनों भौगोलिक क्षेत्रों में देश के कुल निर्यात का 34 प्रतिशत हिस्सा है।
भाषा रमण अजय
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