नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
यह आंकड़ा मई, 2021 में जारी अस्थायी अनुमानों से कहीं बेहतर है. उस समय कहा गया था कि 2020-21 के दौरान महामारी और सख्त लॉकडाउन के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 प्रतिशत का संकुचन आया था.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने सोमवार को संशोधित राष्ट्रीय खाता आंकड़े जारी करते हुए जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित किया. इसके मुताबिक, ‘वर्ष 2020-21 और 2019-20 के लिए वास्तविक जीडीपी या स्थिर कीमतों (2011-12) पर जीडीपी का आकार क्रमशः 135.58 लाख करोड़ रुपये और 145.16 लाख करोड़ रुपये रहा. यह वर्ष 2020-21 के दौरान 6.6 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है जबकि 2019-20 में यह 3.7 प्रतिशत बढ़ा था.’
एनएसओ ने वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक जीडीपी के आंकड़े को भी संशोधित करते हुए कहा कि यह चार फीसदी के पुराने अनुमान के उलट 3.7 फीसदी ही रहा.
जनवरी, 2021 में जारी पहले संशोधित अनुमान में 2019-20 के लिए वास्तविक जीडीपी 145.69 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई थी जो कि चार फीसदी वृद्धि को दर्शा रहा था.
एनएसओ ने कहा, ‘वास्तविक सकल मूल्य-वर्द्धन (जीवीए) के संदर्भ में वर्ष 2020-21 में 4.8 फीसदी का संकुचन रहा है, जबकि 2019-20 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.’
वर्ष 2020-21 के दौरान प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र की वृद्धि दरें क्रमशः 1.6 फीसदी, -2.8 फीसदी और -7.8 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके एक साल पहले यह आंकड़ा क्रमशः 1.9 फीसदी, -6.8 फीसदी औऱ -8.4 फीसदी रहा था.
मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए क्रमशः 1,32,115 रुपये और 1,26,855 रुपये रहने का अनुमान है.
प्रेम अजय
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