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Friday, 22 November, 2024
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निर्मला सीतारमण ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास हो रहा है, मंदी की जीरो संभावना है, कांग्रेस ने जताई नाराजगी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने वित्त मंत्री के लोकसभा में दिए गए जवाब पर नाराजगी जाहिर की है. तिवारी ने कहा कि सरकार का रवैया यह है कि देश में महंगाई नहीं है, लोग पीड़ित नहीं हैं. सब कुछ 'हंकी डोरी' है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कोविड, ओमीक्रॉन और चीन के साथ एलएसी तनाव के बावजूद केंद्र सरकार महंगाई को 7 प्रतिशत या उससे कम रखने की कोशिश कर रही है.

वित्त मंत्री सीतारमण ने यह बात देश में बढ़ती कीमतों को लेकर लोकसभा में जवाब देते हुए कही. उन्होंने दावा किया कि महामारी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास हो रहा है.

वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पिछले दो साल में भारत को विश्व बैंक, आईएमएफ और दूसरी वैश्विक संस्थाओं द्वारा विश्व की विकास दर और भारत की विकास दर के बारे में कई बार आकलन किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘हर बार जब उन्होंने आकलन किया है, विश्व की विकास दर उस अवधि में अनुमान से कम रही है, भारत की भी विकास दर अनुमान से कम रही है, लेकिन हर बार भारत की विकास दर सर्वाधिक रही है.’

सीतारमण ने दावा किया कि अमेरिका की जीडीपी में दूसरी तीमाही में 0.9 प्रतिशत और पहली तिमाही में 1.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. जिसे उन्होंने अनौपचारिक मंदी का नाम दिया था. भारत में मंदी या मुद्रास्फीतिजनित मंदी का सवाल ही नहीं उठता है.

उन्होंने कहा कि ब्लूमबर्ग की सर्वे में बताया गया है कि भारत में मंदी की संभावना जीरो है.

सीतारमण ने आगे कहा कि हमें देखना होगा कि दुनिया में क्या हो रहा है और भारत दुनिया में क्या स्थान रखता है. विश्व ने ऐसी महामारी का सामना पहले कभी नहीं किया. महामारी से बाहर आने के लिए हर कोई अपने स्तर पर काम कर रहा है, इसलिए मैं भारत के लोगों को इसका श्रेय देती हूं.


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‘भारत का एनपीए कम हो रहा है’

वित्त मंत्री ने लोकसभा में यह भी दावा किया कि भारत का एनपीए कम हो रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के ग्रोस नॉन परफॉर्मिंग एस्सेट (एनपीए) 2022 में 6 साल में सबसे निचले स्तर 5.9% पर हैं. चीन के 4 हजार बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं लेकिन भारत में एनपीए कम हो रहे हैं.

सीतारमण ने कहा, ‘केंद्र सरकार के प्रयासों के चलते सरकार पर कर्ज जीडीपी का 56.9 फीसदी है. आईएमएफ के डेटा के अनुसार भारत दूसरे देशों की तुलना में काफी अच्छी स्थिति में है जहां औसतन सरकार पर कर्ज जीडीपी का 86.9 फीसदी है.’

उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी संग्रह पिछले पांच महीनों से लगातार 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक है. 8 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जून में डबल डिजिट में बढ़ोतरी हुई है. जून में कोर सेक्टर में वार्षिक दर से 12.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत सकारात्मक संकेत दिखा रही है.

वित्त मंत्री ने पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने शनिवार को कहा कि ‘आरबीआई ने भारत में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने, भारत को पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की समस्याओं से बचाने के लिए अच्छा काम किया है.’

सीतारमण ने आगे कहा कि भारत को अपने कमजोर पड़ोसियों से अलग करते हुए राजन ने केंद्र सरकार पर कम कम ऋणी होने को अर्थव्यवय्था को एक अच्छा संकेत बताया है.

सीतारमण ने कहा, ‘साल 2012-13 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 10.05 फीसदी, 2013-14 में 9.38%, 2014-15 में 5.83 फीसदी और 2015-16 में 4.91 फीसदी थी. 2020-2021 में यह 6.16% थी लेकिन यह 10 प्रतिशत की तुलना में कुछ भी नहीं था.’

‘सब कुछ ‘हंकी डोरी’ है’

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने वित्त मंत्री के लोकसभा में दिए गए जवाब पर नाराजगी जाहिर की है. तिवारी ने कहा कि वित्त मंत्री का जवाब निराशाजनक था. उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया यह है कि देश में महंगाई नहीं है, लोग पीड़ित नहीं हैं. सब कुछ ‘हंकी डोरी’ है. अगर देश के 140 करोड़ लोगों की आवाज उठाने वाले विपक्ष की चिंताओं पर आपकी यही प्रतिक्रिया है, तो क्यों सुनें?

वहीं, कांग्रेस नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कीमतें बढ़ रही हैं. लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन सरकार को परवाह नहीं है. वे दूसरे देशों को पैसा देने का दावा करते हैं, उनकी मदद करते हैं. अगर आप उन्हें दूसरे देश में भुगतान कर सकते हैं तो हमारे अपने लोगों के लिए क्यों न करें.


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