scorecardresearch
गुरूवार, 29 मई, 2025
होमदेशअर्थजगतभारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता आधार पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आधे से अधिक: नीति उपाध्यक्ष

भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता आधार पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आधे से अधिक: नीति उपाध्यक्ष

Text Size:

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार पहले से ही 15,000 अरब डॉलर है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आधे से भी अधिक है।

क्रय शक्ति समता (पीपीपी) का उपयोग विभिन्न देशों के बीच मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य की तुलना करने के लिए किया जाता है। बाजार विनिमय दर का उपयोग करने के बजाय, पीपीपी उन वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें प्रत्येक देश में मुद्रा की एक निश्चित राशि के साथ खरीदा जा सकता है।

बेरी ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बारे में अखबारों में बहुत कुछ लिखा गया है। ये सभी बाजार मूल्यों पर मापे जाते हैं, लेकिन उत्पादकता को मापने का वास्तविक तरीका क्रय शक्ति समता है।’’

उन्होंने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ हम बाजार मूल्यों पर 4,000 अरब डॉलर के जीडीपी पर हैं, पर पीपीपी के संदर्भ में, हम 15,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं।’’

बेरी ने कहा कि अर्थशास्त्री क्रय शक्ति समता पर श्रम उत्पादकता को मापते हैं क्योंकि पीपीपी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार के मुकाबले देशों की अर्थव्यवस्था के वास्तविक आकार को मापता है।

उन्होंने कहा, ‘‘और इसलिए जबकि हम पीपीपी के संदर्भ में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार मापते हैं, यह 15,000 अरब डॉलर बैठता है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था 29,000 अरब डॉलर पर है। यानी मोटे तौर पर हम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार के आधे हैं।’’

बेरी ने यह भी कहा कि भारत को आपूर्ति के अपने स्रोतों में विविधता लाने की आवश्यकता है, ताकि देश को किसी विशेष आपूर्तिकर्ता पर निर्भर न रहना पड़े।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को वैश्विक ज्ञान का लाभ उठाना चाहिए और स्थानीय स्तर पर नवोन्मेष को गति देनी चाहिए, साथ ही बाजारों में सुधार और कौशल निर्माण करना चाहिए।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कर रहा है। ऐसे में राज्यों को एफटीए से उत्पन्न अवसरों का उपयोग करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा केवल विनिर्माण तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि सेवाओं तक भी विस्तारित होनी चाहिए।

बेरी ने कहा कि भारत की श्रम उत्पादकता जी-20 देशों में सबसे कम है और श्रम उत्पादकता में निरंतर वृद्धि भारत के लिए अपने जनसंख्या संबंधी लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण है। वृद्धि उत्पादकता के मामले में भारत का रिकॉर्ड खराब नहीं रहा है, लेकिन इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी समस्या श्रम उत्पादकता का निम्न स्तर पर होना है। यह न केवल अमेरिका के संबंध में बल्कि चीन और आसियान देशों के संबंध में भी है।’’

बेरी ने कहा कि बढ़ती श्रम उत्पादकता वास्तविक आय में तेज वृद्धि की ओर ले जाती है, वास्तविकता यह है कि यह वृद्धि लोगों की आकांक्षाओं की तुलना में तेजी से नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि भारत ने 1991 के सुधारों से लेकर 2021 में कोविड अवधि तक 30 साल के लिए 6.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर बनाये रखी है। यह दर्शाता है कि भारत में मजबूती की जड़ें हमारी नीतियों के साथ-साथ हमारे संस्थानों में भी हैं।

बेरी ने कहा, ‘‘हमारी संस्थागत प्रणाली मजबूत है, लेकिन हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए…।’’

नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अनुसार, औद्योगीकरण देश के सामने एक और चुनौती है। चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से नीतिगत सबक लिये जा सकते हैं। हालांकि, प्रत्येक देश को अपना और उत्पादकता वृद्धि का रास्ता स्वयं तय करना होगा।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments