बीजिंग, 11 नवंबर (भाषा) चीन में काम कर रही भारतीय दवा कंपनियों ने थोक जेनेरिक दवाओं, विशेष रूप से मधुमेह के इलाज में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली डेपाग्लिफ्लोजिन की आपूर्ति के लिए बोलियां जीती हैं।
भारत-चीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिषद (आईसीईसी) के अनुसार, भारतीय कंपनियों, हेटेरो लैब्स लि., सिप्ला लि., अन्नोरा फार्मा प्राइवेट लि. और नैटको फार्मा ने चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अपने अस्पतालों के लिए दवाओं की खरीद हेतु आयोजित बोलियां जीती हैं।
हेटेरो ड्रग्स लि. और सिप्ला लि. उन सात कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने मधुमेह के इलाज में इस्तेमाल होने वाली डेपाग्लिफ्लोजिन की एक अरब गोलियों की आपूर्ति के लिए बोली जीती हैं।
मात्रा-आधारित खरीद (वीबीपी) बोली प्रक्रिया के तहत, दोनों भारतीय कंपनियों को दवा की आपूर्ति के लिए एक निश्चित संख्या में चीनी प्रांत आवंटित किए जाएंगे।
अन्नोरा फार्मा प्राइवेट लि. ने ऑक्सकार्बाजेपाइन गोलियों की आपूर्ति के लिए बोली जीती जबकि नैटको फार्मा ने ओलापारिब गोलियों की आपूर्ति के लिए बोली हासिल की।
इसके अलावा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की चीनी अनुषंगी कुशान रोटम रेड्डी फार्मास्युटिकल कंपनी ने चार उत्पादों की आपूर्ति के लिए बोलियां जीती हैं।
पिछले महीने आयोजित नवीनतम बोली में संक्रमण-रोधी, ट्यूमर-रोधी उपचार, एलर्जी उपचार और अन्य क्षेत्रों की 55 दवाइयां शामिल थीं। इनमें 272 कंपनियों के कुल 453 उत्पादों को विजेता बोलियों के रूप में पूर्व-चयनित किया गया था।
इसमें से, भारतीय कंपनियां सात दवाओं की आपूर्ति के अनुबंध हासिल करने में सफल रहीं।
चीन स्थित भारतीय दवा कंपनियों के सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि भारतीय कंपनियों का चयन बहुराष्ट्रीय और स्थानीय कंपनियों के प्रभुत्व वाले विशाल चीनी दवा बाजार में प्रवेश की दिशा में एक उत्साहजनक संकेत है।
भाषा रमण अजय
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