नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) कृत्रिम मेधा (एआई) के प्रचार से हटकर वास्तविक दुनिया के प्रभाव की ओर बढ़ते हुए भारतीय कंपनियां कारोबार संचालन में एआई समाधानों को अपना रही हैं, जिससे 2025 मापनीय एआई परिणामों का वर्ष बन जाएगा। यूरोप की प्रमुख सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी एसएपी ने बुधवार को यह कहा।
मार्च, 2024 से मार्च, 2025 तक की अवधि में भारत में एसएपी ग्राहकों के विश्लेषण के आधार पर, भारत में सबसे लोकप्रिय एआई उपयोग के मामलों में एआई द्वारा संचालित ‘विजुअल इनसाइट्स’, सारांश और अनुवाद, एआई समर्थित प्रक्रिया विश्लेषण और असंरचित आंकड़ों से बिक्री ऑर्डर तैयार करना शामिल हैं।
अन्य उपयोग के मामले जो लोकप्रिय हो गए हैं, वे हैं पूर्वानुमान और प्राकृतिक भाषा से संबंधित सवाल।
मुंबई में एसएपी नाउ एआई टूर कार्यक्रम एसएपी इंडिया ने बुधवार को नया विश्लेषण प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि भारतीय व्यवसाय किस तरह से एआई से लाभान्वित हो रहे हैं।
एसएपी के भारतीय उपमहाद्वीप के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (एमडी) मनीष प्रसाद ने कहा, “किसी भी संगठन के लिए आंकड़ों की गहरी समझ बेहद जरूरी होती है, जो वित्त, खरीदारी, आपूर्ति शृंखला, कर्मचारी और दूसरे जरूरी कामों को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करती है।”
कंपनी ने कहा कि वह ग्राहकों को सशक्त बना रही है क्योंकि वे कारोबार संचालन के सभी पहलुओं में एआई प्रतिनिधियों को शामिल करके बुद्धिमान, अनुकूलित व्यवसाय में विकसित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम व्यक्तियों के काम करने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहे हैं और व्यवसाय संचालन के तरीके को बदल रहे हैं…।”
एसएपी लैब्स इंडिया कंपनी के एआई सह-पायलट ‘जूल’ के विकास में प्रमुख भूमिका निभा रही है। एसएपी लैब्स इंडिया जर्मनी के बाहर कंपनी का दूसरा सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास केंद्र है।
भाषा अनुराग
अनुराग
अनुराग
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.