नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि ‘इंडिया एआई मिशन’ ने स्वदेशी कृत्रिम मेधा (एआई) प्रौद्योगिकी के विकास के लिए संसद के डेटा का इस्तेमाल करने के इरादे से एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
वैष्णव ने यहां आयोजित ‘ओआरएफ रायसीना डायलॉग 2025’ में एक पैनल चर्चा में कहा कि खुद का अपना एलएलएम (व्यापक भाषा मॉडल) विकसित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में उपलब्ध ओपनएआई जैसी मुक्त-स्रोत प्रौद्योगिकी भविष्य में भी मुक्त नहीं रह सकती है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘एआई की दिशा में सफर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा डेटा संग्रह जुटाना है। हमने ‘एआई कोष’ नाम की एक समान कंप्यूट संरचना स्थापित की है। आज सुबह ही इंडिया एआई मिशन और भारतीय संसद ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए क्योंकि संसद ने समय के साथ कई भाषाओं में बहुत बड़े डेटा संग्रह बनाए हैं। यह हमारे मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए एक बहुत अच्छा प्रशिक्षण संसाधन होगा।’’
उन्होंने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी जैसे संगठनों के जरिये कई समान डेटा स्रोत उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि देश का अपना जीपीयू (ग्राफिक्स प्रसंस्करण इकाई) चिप विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है और सरकार ने उद्योग के साथ मिलकर इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
स्वदेशी जीपीयू क्षमता हासिल करने की समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर वैष्णव ने कहा, ‘‘हमारे बढ़िया, अच्छी क्षमता वाले जीपीयू को चालू होने में तीन से पांच साल लगेंगे।’’
दुनिया के कई देशों में एआई पर केंद्रित टूल विकसित होने के बाद भारत ने भी अपने स्तर पर इसके विकास की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि, यह पहल अभी शुरुआती चरण में है।
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