नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) विश्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि भारत वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य हासिल करने की राह पर अग्रसर है।
विश्व बैंक ने भारत पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि राजस्व संग्रह में तीव्र वृद्धि होने से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य तक सीमित रह सकता है।
इसके मुताबिक, पहली तिमाही में वास्तविक वृद्धि दर ऊंची रहने से राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई। ऐसा पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने के बावजूद हुआ था।
विश्व बैंक का मानना है कि उर्वरक एवं खाद्य सब्सिडी पर खर्च बढ़ने के बाद भी सरकार 2022-23 के लिए अपने राजकोषीय लक्ष्य को हासिल करने की राह पर अग्रसर है। बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना लक्ष्य का 37.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटा रहा है। इस दौरान सरकारी राजस्व 9.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि उसका खर्च 12.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
इसी तरह सामान्य सरकारी घाटा भी घटकर 9.6 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2021-22 में 10.3 प्रतिशत और 2020-21 में 13.3 प्रतिशत पर रहा था।
विश्व बैंक ने कहा कि सार्वजनिक कर्ज के भी चालू वित्त वर्ष में घटकर जीडीपी के 84.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह 87.6 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के चालू खाता संतुलन को मजबूत शुद्ध पूंजी प्रवाह से काफी समर्थन मिला है। चालू खाते के घाटे (कैड) के वित्तपोषण के मुख्य स्रोत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह पहली तिमाही में जीडीपी का करीब 1.6 प्रतिशत रहा।
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