नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रमुख डी के सुनील ने कहा कि कंपनी जेट इंजन का संयुक्त रूप से उत्पादन करने के लिए अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस के साथ मार्च तक समझौता कर लेगी।
उन्होंने बताया कि इससे भारत के अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की क्षमता बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन डीसी यात्रा के दौरान 2023 में भारत में एफ-414 इंजन के संयुक्त उत्पादन की घोषणा हुई थी। हालांकि, उन्नत प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान पर लंबी बातचीत के कारण कार्यक्रम में कुछ दिक्कत हुई।
एचएएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुनील ने पीटीआई वीडियो के साथ साक्षात्कार में कहा कि इंजन के लिए प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर जीई एयरोस्पेस के साथ महत्वपूर्ण बातचीत पूरी हो गई है।
उन्होंने कहा, ”हम अब टीओटी (प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण) सिद्धांतों पर चर्चा कर रहे हैं। हमारे पास 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण होगा। ये चर्चा लगभग पूरी हो चुकी है।”
उन्होंने कहा, ”अब हम वाणिज्यिक क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। चालू वित्त वर्ष में, हम यह सौदा पूरा कर लेंगे।”
अमेरिका, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में लड़ाकू जेट विमानों को शक्ति देने वाले प्रमुख इंजन का संयुक्त उत्पादन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लंबे समय से अमेरिका ने घरेलू सैन्य प्रौद्योगिकियों पर सख्त नियंत्रण बनाए रखने की नीति अपनाई है।
सुनील ने कहा कि जीई इंजन का उपयोग तेजस हल्के लड़ाकू विमान मार्क-2 संस्करण और पांचवीं पीढ़ी के अत्याधुनिक मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के शुरुआती प्रोटोटाइप में किया जाएगा।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.