नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को सामाजिक सुरक्षा समझौते के लिए बातचीत पूरी होने की घोषणा की। इससे ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे योगदान से बचने में मदद मिलेगी।
दोहरा योगदान समझौते की घोषणा दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साथ की गई।
वर्तमान में, ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवर अपने सामाजिक सुरक्षा कोष में योगदान करते हैं, लेकिन परियोजना पूरी होने के बाद लौटने पर उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीय व्यवसायों की यह लंबे समय से मांग रही है कि अल्पावधि के आधार पर कुशल भारतीय पेशेवरों को लाने से जुड़े अतिरिक्त लागत के बोझ को कम किया जाए।
साल 2021 के आंकड़ों के अनुसार, अस्थायी वीजा पर ब्रिटेन में कुशल भारतीय पेशेवरों के लिए अनिवार्य राष्ट्रीय बीमा (एनआई) योगदान सालाना प्रति कर्मचारी लगभग 500 ब्रिटिश पाउंड का अतिरिक्त लागत बोझ बना हुआ है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के लिए भुगतान किए जाने वाले अन्य सभी करों और स्वास्थ्य अधिभार के अतिरिक्त है।
भारत ने बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते किए हैं।
इस प्रकार, रोजगार के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों को इन देशों में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए योगदान करने की जरूरत नहीं है।
वे और उनके नियोक्ता विदेश में सेवा करते हुए भारत में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ जारी रख सकते हैं।
भाषा अनुराग अजय
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