नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) भारत दुनिया के प्रमुख देशों में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अनुमान जताया है कि मजबूत निवेश के बल पर वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रह सकती है, जबकि चीन जनवरी-दिसंबर, 2022 के बीच पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है।
एडीबी के परिदृश्य-2022 में कहा गया है कि भारत की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जबकि 2023 में चीन की वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत रह सकती है।
एडीबी ने हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जिंस कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति को एक प्रमुख मुद्दे के रूप में चिह्नित किया।
एडीबी ने अपने भारत अध्याय में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 7.5 प्रतिशत की दर से और 2023-24 में आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। ऐसा जोरदार निवेश वृद्धि के कारण होगा, जबकि सार्वजनिक निवेश से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।’’
वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 8.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की थी, जबकि चीन ने 2021 में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की।
एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, ‘‘विकासशील एशिया में अर्थव्यवस्थाएं अपने पैर जमाने लगी हैं और वे धीरे-धीरे कोविड-19 महामारी के सबसे बुरे दौर से उबर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और कोविड-19 के नए स्वरूप के प्रकोप से वृद्धि की गाड़ी पटरी से उतर सकती है। इसलिए इस क्षेत्र की सरकारों को सतर्क रहने और इन जोखिमों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के अधिकारियों को भी मुद्रास्फीति की स्थिति पर बारीकी से नजर रखनी होगी।
एडीबी ने कहा कि 2022 में दक्षिण एशिया की वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है, जिसके 2023 में बढ़कर 7.4 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
इसमें अनुमान जताया गया है कि 2022 में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चार प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 4.5 प्रतिशत रह सकता है।
भाषा पाण्डेय अजय
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