scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशअर्थजगतस्टार्टअप्स ने 2020 से अब तक 23,000 लोगों को नौकरी से निकाला, फिर भी इनसे उम्मीदें क्यों बनी हुई हैं

स्टार्टअप्स ने 2020 से अब तक 23,000 लोगों को नौकरी से निकाला, फिर भी इनसे उम्मीदें क्यों बनी हुई हैं

एक क्राउड-सोर्स डेटाबेस से पता चलता है कि कम से कम आधी छंटनी—11,000 से अधिक—अकेले 2022 में हुई. लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि नौकरियां देने का स्टार्टअप्स का इरादा नजर आने लगा है.

Text Size:

नई दिल्ली: 2020 में महामारी शुरू होने के बाद से स्टार्टअप्स में काम करने वाले 23,000 से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी है, जिससे भारत स्टार्टअप में छंटनी के मामले में शीर्ष देशों में शामिल हो गया है. एक क्राउड-सोर्स डेटाबेस में यह जानकारी सामने आई है.

छंटनी पर लेऑफ्स डॉट एफवाईआई के डेटा से पता चलता है कि 2020 से अब तक 23,542 कर्मचारियों को निकाला गया है, जिसमें करीब आधी नौकरियां—11,098—इस वर्ष गई हैं. बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकालने वाले अन्य देशों में अमेरिका शामिल है जहां महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग 80,000 लोगों ने अपनी नौकरी गवां दी है. आंकड़ों से पता चलता है कि ब्राजील में करीब 5000, सिंगापुर में 3000 से ज्यादा और कनाडा में 2000 से कम लोगों को नौकरी से निकाला गया है.

डेटाबेस से पता चलता है कि महामारी शुरू होने के बाद से दुनियाभर के 924 स्टार्टअप्स में 1,45,955 कर्मचारियों की छंटनी की गई है. लेऑफ्स डॉट एफवाईआई एक ऐसा ट्रैकर है जो दुनियाभर के स्टार्टअप्स में छंटनी पर नजर रखने के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी—जैसे न्यूज रिपोर्ट—का उपयोग करता है. स्टार्टअप किसी ऐसी नई कंपनी को कहा जाता है जो किसी खास सेवा या उत्पाद को तैयार करने के लिए स्थापित की गई हो और जिसका मूल आधार इनोवेशन हो.

हालांकि, भारत की सबसे बड़ी मानव संसाधन फर्मों में एक टीमलीज की तरफ से जारी एक रिपोर्ट कुछ उम्मीद की किरण दिखा रही है, जिससे  पता चलता है कि जुलाई और सितंबर 2022 के बीच की अवधि के लिए भारत में स्टार्टअप्स के बीच 62 प्रतिशत हायरिंग का इरादा है जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में अक्टूबर-दिसंबर के बीच 57 फीसदी से कुछ ज्यादा है. यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए स्टार्टअप सहित 865 से अधिक छोटी, मध्यम और बड़ी कंपनियों का सर्वेक्षण किया गया है.

‘इन्टेंट टू हायर’ एक ऐसा मानक है जो आपको उन नियोक्ताओं का प्रतिशत बताता है जो एक निश्चित तिमाही में नौकरियां देने का इरादा रखते हैं.

जुलाई में जारी ताजा ‘टीमलीज एम्प्लॉयमेंट आउटलुक रिपोर्ट’ में कहा गया है, ‘स्टार्टअप्स को फंडिंग में कमी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और अपेक्षाकृत कम स्तर पर 62 प्रतिशत ही नौकरी देने का इरादा दिखा रहे हैं.’ रिपोर्ट हर तिमाही प्रकाशित की जाती है.

टीमलीज की कार्यकारी निदेशक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि छंटनी हो रही है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनियां भर्ती नहीं कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘छंटनी का मतलब यह नहीं है कि टेक कंपनियां हायरिंग नहीं कर रही हैं. बहुत गलत धारणा बनाई जा रही है.’ साथ ही जोड़ा कि सभी स्टार्टअप लोगों की छंटनी नहीं कर रहे.

विशेषज्ञों का यह भी दावा है कि छंटनी को प्रभावित करने वाला एकमात्र फैक्टर लागत में कटौती नहीं है.

स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले निजी स्वामित्व वाले एंजेल नेटवर्क लीड एंजल्स के निदेशक प्रोफेसर ध्रुव नाथ ने कहा, ‘पिछले दो-तीन सालों में, निवेशकों ने स्टार्ट-अप से एक स्थायी व्यवसाय मॉडल की मांग करनी शुरू कर दी है. वे किसी भी स्रोत से केवल राजस्व सृजन से खुश नहीं हैं. वे लाभ बढाने का रास्ता पूछ रहे हैं और जब कंपनियां ऐसा नहीं कर पातीं तो लागत में कटौती करने लगती हैं. इस तरह छंटनी होती है.

एंजेल निवेशक वो लोग होते हैं जो कंपनियों या स्टार्टअप को वित्तीय सहयोग देते हैं, जो कि आमतौर पर कंपनी में इक्विटी स्वामित्व के बदले होता है.


यह भी पढ़ें: डिप्रेशन के मरीजों की देखभाल करने वालों की मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है असर


भर्ती बढ़ाने का इरादा

‘टीमलीज एम्प्लॉयमेंट आउटलुक रिपोर्ट’ के मुताबिक, यूनिकॉर्न और सूनीकॉर्न (जल्द यूनिकॉर्न बनने वाले) ने जुलाई से सितंबर के बीच 78 फीसदी हायरिंग का इरादा दिखाया है. यह ई-कॉमर्स और संबद्ध स्टार्ट-अप में 11.04 प्रतिशत से अधिक एट्रिशन रेट को दर्शाता है.

यूनिकॉर्न वो स्टार्टअप होते हैं जिनका कारोबार 1 बिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच जाता है.

इसके अलावा, इस साल फरवरी में जारी टीमलीज की ‘कैरियर आउटलुक रिपोर्ट’ से पता चला है कि जिन लोगों ने अभी-अभी कॉलेज में स्नातक किया है, उनके लिए स्टार्टअप्स का नियुक्ति का इरादा 2021 की दूसरी छमाही की तुलना में इस वर्ष जनवरी से जून के बीच की अवधि के लिए ई-कॉमर्स और टेक स्टार्टअप्स में 41 प्रतिशत तक बढ़ा है.

हेल्थ-टेक प्लेटफॉर्म विजिट के सह-संस्थापक वैभव सिंह ने कहा कि आम धारणा के विपरीत कि स्टार्टअप आर्थिक स्तर पर संकट का सामना कर रहे हैं, कई ऐसी कंपनियां हैं जो अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और कर्मचारियों की छंटनी नहीं कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह (धारणा कि स्टार्टअप खराब प्रदर्शन कर रहे है) हमारे लिए कई तरह की समस्याएं पैदा करती है क्योंकि जब हम अपने साथ जुड़ने के लिए प्रतिभाएं तलाशते हैं तो अच्छे उम्मीदवार स्टार्टअप ज्वाइन करने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वहां वह टिके नहीं रह पाएंगे.’

मौजूदा समय में हायरिंग कर रही कंपनियों में एक एडटेक प्लेटफॉरम उत्कर्ष हो जो जून से ही बड़े पैमाने पर भर्तियों का दावा कर रहा है. वहीं साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र के एक स्टार्टअप सीक्वेरटेक, और ऐप-आधारित रिलोकेशन प्लेटफॉर्म हैप्पीलोकेट में भी हायरिंग की जा रही है.

ध्रुव नाथ ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि छंटनी के कई कारण हैं, कोविड महामारी, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध और उसके बाद वैश्विक मुद्रास्फीति ने बाजार में पूंजी तरलता घटा दी है.

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में वेंचर कैपिटलिस्ट (वीसी)—ऐसे निवेशक जो इक्विटी के बदले युवा कंपनियों में पूंजी लगाते हैं—अपना पैसा ‘अधिक सुरक्षित’ स्थानों पर लगाना चाहते हैं.

नाथ ने कहा, ‘अमेरिका में वेंचर कैपिटलिस्ट ज्यादा सुरक्षित तरीका अपनाते हैं और अपना पैसा प्योर करेंसी या बांड में लगाते हैं.’

नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक वेंचर कैपिटलिस्ट ने कहा कि कई स्टार्टअप ने कर्मचारियों को मोटी तनख्वाह पर काम पर रखा था, लेकिन जब उन्हें पता चला कि वे मुनाफा नहीं दिखा सकते, तो उन्हें छंटनी पर मजबूर होना पड़ा.

उन्होंने कहा, ‘वेंचर कैपिटलिस्ट चाहते हैं कि कंपनियां उन्हें कम से कम अस्थायी रूप से बताएं कि वे कब मुनाफा कमाना शुरू करेंगी या फिर कम से कम ब्रेक ईवन (वहां प्वाइंट जहां न लाभ है और न ही हानि) की स्थिति क्या होगा. लेकिन बहुत से लोग ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. इसलिए जब फंडिंग खत्म होने लगती है, तो कंपनियां कर्मचारी घटाने लगती हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: बख़्तियारपुर के नामकरण को लेकर क्यों हो रहा विवाद, ये इतिहास का नहीं बल्कि राजनीति का मसला है


share & View comments