नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) मानदंडों के तहत अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम पर लगाये गये शुल्क को लेकर कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखा है और वह दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने का विकल्प चुन सकता है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इससे पहले भी भारत ने यूरोपीय संघ के 2019 और 2021 के इस्पात को लेकर रक्षोपाय शुल्क पर विश्व व्यापार संगठन को इसी तरह की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन इसे आज तक लागू नहीं किया गया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके अनुसार, अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम शुल्क के खिलाफ वस्तु व्यापार की डब्ल्यूटीओ परिषद को दी गयी भारत की वर्तमान अधिसूचना केवल रक्षोपाय कदमों पर समझौते के तहत भविष्य में किसी भी समय जवाबी कार्रवाई करने के अधिकार को सुरक्षित रखती है। हालांकि, यह भारत को तय करना है कि अधिसूचना के 30 दिन के बाद या बाद में इन प्रस्तावित जवाबी शुल्क को प्रभावी करना है या इसे चल रही बीटीए वार्ता के हिस्से के रूप में हल करना है।’’
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में अधिकारियों का एक दल 17 मई से अमेरिका की यात्रा पर है। वहां वे प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे। दोनों देशों के मुख्य वार्ताकार 19-22 मई तक बैठकें करेंगे।
दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने के लिए समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का जवाबी कदम उठाने का अधिकार प्रस्तावित व्यापार समझौते में सौदेबाजी के रूप में काम कर सकता है।
अगर, भारत जवाबी शुल्क लगाता है तो यह कोई पहला मामला नहीं होगा।
भारत ने जून, 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाए थे। यह शुल्क उस समय लगाया गया जब अमेरिका ने भारत को अपनी सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) से हटा दिया और कुछ इस्पात तथा एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत शुल्क जारी रखा।
हालांकि, दोनों देशों के डब्ल्यूटीओ में लंबित विवादों को हल करने के निर्णय के बाद सितंबर, 2023 में शुल्क वापस ले लिए गए थे।
भारत ने इस बारे में 12 मई को नोटिस जारी किया। इसमें डब्ल्यूटीओ के रक्षोपाय समझौते के प्रावधान के तहत अपने अधिकारों के उपयोग की बात कही गयी है।
यह कानूनी प्रावधान उस स्थिति में किसी देश को जवाबी कार्रवाई करने की अनुमति देता है जब कोई अन्य सदस्य देश बिना उचित सूचना या परामर्श के रक्षोपाय कदम उठाता है। भारत ने अप्रैल में अमेरिका से परामर्श मांगा था। लेकिन अमेरिका ने कहा कि शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाये गये हैं और उन्हें रक्षोपाय कदम नहीं माना जाना चाहिए।
डब्ल्यूटीओ अधिसूचना के अनुसार, अमेरिकी रक्षोपाय शुल्क से लगभग 7.6 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय निर्यात प्रभावित होगा। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका द्वारा लगभग 1.91 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क वसूले जाने की संभावना है।
भारत चुनिंदा अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाकर इस राशि को वसूल करना चाहता है।
भाषा रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.