नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) भारत ने पिछले दशक में अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तीन गुना वृद्धि दर्ज की है, जिसमें स्थापित हरित ऊर्जा क्षमता 232 गीगावाट तक पहुंच गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश के रूप में उभरा है। ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों का शुल्क 80 प्रतिशत घटकर 10.95 रुपये प्रति यूनिट हो गया है।
भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 2.82 गीगावाट थी, पवन ऊर्जा क्षमता 2014 में 21 गीगावाट से बढ़कर वर्तमान में 51 गीगावाट हो गई है।
सूत्रों ने बताया कि संप्रग सरकार के दौरान भारत की सौर विनिर्माण परिदृश्य में नहीं के बराबर मौजूदगी थी। देश में वर्ष 2014 में मात्र दो गीगावाट सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता थी।
उन्होंने कहा कि 2024 में भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति में आ गया और सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 90 गीगावाट तक बढ़ गई। इसके 2030 तक 150 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 2014 में, भारत में सौर सेल और वेफर का घरेलू उत्पादन लगभग शून्य था, जो पिछली सरकार की एक बड़ी नीतिगत विफलता थी।
आज, भारत ने 25 गीगावाट सौर सेल उत्पादन और दो गीगावाट वेफर उत्पादन के साथ एक मजबूत आधार बनाया है।
भाषा पाण्डेय
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