नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) भारत और अन्य ब्रिक्स देशों ने मिलकर विकसित देशों से रियायती और कम लागत वाले वित्तपोषण को बढ़ाने का आह्वान किया है। इसका उद्देश्य उभरते देशों को कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने में मदद करना है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ब्राजील में ब्रिक्स समूह के ऊर्जा मंत्रियों की 19 मई को शुरू हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे हैं।
बिजली मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, इस बैठक में ब्रिक्स देशों के मंत्रियों ने हरेक देश का ऊर्जा बदलाव पथ निर्धारित करने के अधिकार पर जोर दिया और सभी ऊर्जा स्रोतों के कुशल उपयोग की वकालत की।
उन्होंने स्थायी ऊर्जा अवसंरचना को बढ़ावा देने में स्थानीय मुद्रा वित्तपोषण के माध्यम से नव विकास बैंक (एनडीबी) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
बयान के मुताबिक, ब्रिक्स देशों के ऊर्जा मंत्रियों ने खुले, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों का समर्थन किया और बिजली के व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
मनोहर लाल ने बैठक के दौरान वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में विकासशील देशों के लिए जीवाश्म ईंधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
उन्होंने पिछले दशक में ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश ने 2025 तक अपनी बिजली क्षमता को 90 प्रतिशत बढ़ाकर 475 गीगावाट तक पहुंचाया है और 2032 तक इसे 900 गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
बिजली मंत्री ने कहा कि भारत एक घरेलू कार्बन क्रेडिट बाजार शुरू कर रहा है और वैश्विक स्तर पर इच्छुक खिलाड़ियों को सहयोग के लिए आमंत्रित कर रहा है।
बयान के मुताबिक, इस बैठक में शामिल मंत्रियों ने कोयला गैसीकरण, कार्बन कटौती और भंडारण जैसी प्रौद्योगिकियों के जरिये उनके स्वच्छ और कुशल उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अधिक सहयोग का आग्रह किया।
मंत्रियों ने ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें सार्वभौमिक बिजली पहुंच, स्वच्छ खाना पकाने और ऊर्जा विपन्नता से निपटना शामिल है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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