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Thursday, 24 July, 2025
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भारत ने ब्रिटिश कंपनियों के लिए सरकारी खरीद के द्वार खोले

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नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) भारत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत ब्रिटिश कंपनियों को सरकारी खरीद में रियायत देगा। विशेषज्ञ इस कदम को सरकारी खरीद को घरेलू औद्योगिक विकास के माध्यम से अलग एक रणनीतिक बदलाव के रूप में देख रहे हैं।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बाद, भारत ने बृहस्पतिवार को हस्ताक्षरित एफटीए के तहत कुछ शर्तों के अधीन, ब्रिटिश कंपनियों के लिए अपनी केंद्र सरकार की खरीद (जीपी) खोल दी है।

ब्रिटिश कंपनियां अब निविदाओं के लिए बोली लगा सकती हैं, और जिनके पास केवल 20 प्रतिशत ब्रिटिश सामग्री होगी, उन्हें भारत की ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में विनिर्माण करो) नीति के तहत द्वितीय श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ता के रूप में माना जाएगा।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत एफटीए के तहत ब्रिटेन की कंपनियों को सरकारी खरीद में ‘सबसे व्यापक’ रियायतें दे रहा है, जो घरेलू औद्योगिक विकास के लिए सार्वजनिक खरीद को एक माध्यम के रूप में उपयोग करने से दूर एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है।

आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) कहे जाने वाले इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष केअर स्टार्मर की उपस्थिति में लंदन में हस्ताक्षर किए गए।

जीटीआरआई ने कहा कि भारत पहली बार परिवहन, हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से ब्रिटेन के बोलीदाताओं के लिए लगभग 40,000 उच्च मूल्य के अनुबंध खोलेगा।

ब्रिटिश फर्मों को भारत के केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल (सीपीपीपी) और जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) मंच के माध्यम से भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।

भाषा अनुराग अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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