नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) कृत्रिम मेधा (एआई) की बढ़ती मांग के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए भारत को 2030 तक डेटा सेंटर के लिए अतिरिक्त 4.5 से पांच करोड़ वर्ग फुट रियल एस्टेट क्षेत्र और 40-45 टेरावाट-घंटे (टीडब्ल्यूएच) की वृद्धिशील बिजली की आवश्यकता हो सकती है। पेशेवर सेवा प्रदाता कंपनी डेलॉयट ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।
डेलॉयट ने ‘भारत में एआई डेटा सेंटर अवसंरचना निवेश को आकर्षित करना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में भारत के लागत लाभ, नवीकरणीय ऊर्जा और रणनीतिक स्थल का उल्लेख किया है। हालांकि, कंपनी ने चेतावनी दी कि वैश्विक एआई केंद्र के रूप में देश का उभरना महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, प्रतिभा और नीतिगत अंतर को पाटने पर निर्भर करता है।
डेलॉयट इंडिया की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एआई की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश को 2030 तक अतिरिक्त 4.5 से पांच करोड़ वर्ग फुट रियल एस्टेट क्षेत्र और 40-45 टेरावाट घंटे (टीडब्ल्यूएच) अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता हो सकती है।
रिपोर्ट में विश्वस्तरीय एआई (कृत्रिम मेधा) तंत्र के निर्माण के लिए छह स्तंभों -रियल एस्टेट, बिजली और उपयोगिताएं, कनेक्टिविटी, कंप्यूट अवसंरचना, प्रतिभा और नीति ढांचे की पहचान की गई है।
इसमें कहा गया है कि डेटा सेंटर सुविधा इकाइयों की स्थापना करके अनुमोदन को त्वरित और सरल बनाने से डेटा सेंटर की स्थापना को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
भाषा अनुराग अजय
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