नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत ‘विश्व चक्रीय अर्थव्यवस्था मंच’ के 2026 संस्करण की मेजबानी का इच्छुक है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत चक्रीय अर्थव्यवस्था पर एशिया-प्रशांत देशों के साथ मजबूत सहयोग का समर्थक है।
‘चक्रीय अर्थव्यवस्था’ उत्पादन और उपभोग का ऐसा मॉडल है, जिसमें यथासंभव विद्यमान सामग्रियों एवं उत्पादों को साझा करना, पट्टे पर देना, दोबारा इस्तेमाल, मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्चक्रण शामिल है।
यादव ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था 250 साल पहले आई औद्योगिक क्रांति के बाद से सबसे बड़े व्यावसायिक बदलावों में से एक को संचालित कर सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हर साल आयोजित होने वाला ‘विश्व चक्रीय अर्थव्यवस्था मंच’ (डब्ल्यूसीईएफ) इस साल ब्राजील के साओ पाउलो में हो रहा है। भारत ने वर्ष 2026 के सम्मेलन की मेजबानी की इच्छा जताई है। वर्ष 2030 और उसके बाद के भविष्य को देखते हुए इस मंच को वास्तविक बदलाव लाना चाहिए।’’
डब्ल्यूसीईएफ का आयोजन फिनलैंड और उसके नवाचारी कोष सिट्रा की वैश्विक पहल है। यह फोरम चक्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़े बिंदुओं पर चर्चा के लिए दुनिया भर के कारोबारी प्रमुखों, नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाता है।
यादव ने कहा कि भारत अपने मजबूत पुनर्चक्रण उद्योग के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था पर एशिया-प्रशांत देशों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि भारत में फिलहाल 3,500 से अधिक पुनर्चक्रण इकाइयां हैं जो प्रति वर्ष लगभग 4.5 करोड़ टन कचरे को संसाधित करने में सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों और जलवायु निरपेक्षता को प्राप्त करने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्थाएं महत्वपूर्ण थीं, जो समान विकास के साथ कम कार्बन उत्सर्जन को भी संतुलित करती हैं।
हालांकि, उन्होंने खासकर विनिर्माण क्षेत्र के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था को केवल एक व्यवसाय मॉडल के रूप में देखने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत के लिए चक्रण केवल एक कारोबारी मॉडल न होकर एक जीवन मॉडल है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.