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बुधवार, 7 मई, 2025
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ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर से निर्यात प्रभावित होने पर भारत के पास जवाबी कार्रवाई का अधिकार

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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर का मुकाबला करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि अनिश्चितता एवं इसको लेकर कोई भी ब्रिटिश कानून नहीं होने से भारत ने भविष्य में इससे घरेलू निर्यात प्रभावित होने पर जवाबी कार्रवाई या रियायतों को पुनर्संतुलित करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखा है।

ब्रिटेन सरकार ने 2027 से अपना ‘कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म’ (सीबीएएम) लागू करने का निर्णय दिसंबर 2023 में लिया था।

आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) के अनुसार, ब्रिटेन द्वारा 2027 से लोहा व इस्पात, एल्युमीनियम, उर्वरक व सीमेंट जैसे उत्पादों पर कार्बन कर लगाने के निर्णय के कारण ब्रिटेन को भारत का 77.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है।

अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में सीबीएएम का मुकाबला करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे ब्रिटेन द्वारा भारत को दी जाने वाली रियायतें रद्द होने की संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान अनिश्चितता और कोई कानून न होने के कारण ऐसा माना जा रहा है कि भारत (भविष्य में) जवाबी कार्रवाई करने या रियायतों को पुनः संतुलित करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखेगा/रख चुका है।’’

यूरोपीय संघ (ईयू) के बाद ब्रिटेन सीबीएएम को लागू करने वाली दूसरी अर्थव्यवस्था होगी। इसे आयात कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र कहा जाता है और यह शुरुआत में लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम, उर्वरक, हाइड्रोजन, सिरेमिक, कांच और सीमेंट जैसे क्षेत्रों पर लागू होता है।

यह कर ईटीएस (उत्सर्जन व्यापार प्रणाली) के तहत मुफ्त अनुमतियों के चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह समाप्त होने पर आयात मूल्य के 14-24 प्रतिशत के बीच हो सकता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में लंदन की यात्रा के दौरान इस कर पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि अगर ब्रिटेन इस योजना पर आगे बढ़ता है तो भारत जवाबी कार्रवाई पर विचार कर सकता है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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