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Tuesday, 24 September, 2024
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भारत व्यवस्थित तरीके से ऊर्जा बदलाव को लेकर भरोसेमंद वृद्धि रूपरेखा के पक्ष में

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बेतुल (गोवा), सात फरवरी (भाषा) भारत ने बुधवार को व्यवस्थित तरीके से हरित ऊर्जा की ओर बदलाव के लिए एक भरोसेमंद वृद्धि रूपरेखा तैयार किये जाने की वकालत की। उसने कहा कि कोयला और पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की आलोचना करने की जगह एक संतुलित और सार्थक बातचीत की जरूरत है।

यहां भारत ऊर्जा सप्ताह में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता अपनी तेल खरीद में विविधता लाने के विकल्प तलाश रहा है। इसमें रूस और वेनेजुएला में उपलब्ध अवसर का उपयोग भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि आयात के स्रोतों के विविधीकरण और गैस मूल्य निर्धारण व्यवस्था में बदलाव सहित क्षेत्र में हाल में किये गये सुधारों ने भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट सुनिश्चित की, जबकि वैश्विक स्तर पर कीमतें बढ़ रही थीं।

मंत्री ने भारत ऊर्जा सप्ताह के दौरान ‘वीयूसीए दुनिया में देशों और उद्योग के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना’ विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय पैनल में यह बात कही। इसमें कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरिदा अल काबी और ओपेक महासचिव हैथम अल घैस भी मौजूद थे।

वीयूसीए का मतलब अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता से है। यह निरंतर, अप्रत्याशित रूप से बदलते हालात को बताता है।

पुरी ने वैश्विक ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति का जिक्र करते कहा कि बदलाव को व्यवस्थित करने की चुनौती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हरित ऊर्जा की ओर बदलाव उपयुक्त तरीके से हो।

मंत्री ने कहा,‘‘हमारे पास पारंपरिक ईंधन तक पहुंच है और हम स्वच्छ ईंधन की ओर भरोसेमंद तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। कोयला और पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की आलोचना करने की जगह एक संतुलित और सार्थक बातचीत की जरूरत है।’’

अल घैस ने कहा कि भले ही ऊर्जा बदलाव महत्वपूर्ण है। ऊर्जा परिवर्तन के कई रास्ते हो सकते हैं। हमें ऊर्जा के स्रोत के बदलाव को इसी तरह से देखना चाहिए। ओपेक में, हमने निवेश करना जारी रखा है। हमें अगले 20 वर्षों में अरबों डॉलर के निवेश की जरूरत है।

उन्होंने जीवाश्म ईंधन उत्पादन में निवेश की आवश्यकता पर भी जोर दिया। अल घैस ने कहा, ‘‘मांग बढ़ने की संभावना है, अत: हमें निवेश करने की जरूरत है।’’

कतर के ऊर्जा मामलों के राज्य मंत्री शेरिदा अल काबी ने कहा कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरी तरह से हल नहीं कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना जिम्मेदारी भरा बयान नहीं है कि हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करते हैं। यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।’’

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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