नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) कृत्रिम मेधा (एआई) को लेकर विशिष्ट कौशल की बढ़ती जरूरतों के बीच भारत को आने वाले समय में पेशेवरों की भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक अध्ययन में वर्ष 2027 तक देश में एआई क्षेत्र में 10 लाख से अधिक कुशल पेशेवरों की कमी होने का अनुमान जताया गया है।
बैन एंड कंपनी की इस अध्ययन रिपोर्ट में एआई विशेषज्ञता की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत के अपने कर्मचारियों को नए सिरे से प्रशिक्षित करने और उन्हें बेहतर कौशल प्रदान करने की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।
भारत में बैन एंड कंपनी के साझेदार (एआई, इनसाइट्स और सॉल्यूशन प्रैक्टिस) सैकत बनर्जी ने कहा, ‘‘भारत के पास खुद को वैश्विक एआई प्रतिभा केंद्र के रूप में स्थापित करने का एक अनूठा अवसर है। हालांकि, 2027 तक एआई में नौकरियों के अवसर प्रतिभा की उपलब्धता के मुकाबले 1.5-2 गुना होने की उम्मीद है।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का एआई क्षेत्र 2027 तक 23 लाख नौकरियों के अवसरों से आगे निकल सकता है जबकि उस समय तक एआई कुशल पेशेवरों की संख्या लगभग 12 लाख ही रहने का अनुमान है। इसका मतलब है कि देश को 10 लाख से अधिक पेशेवरों को नए सिरे से सक्षम बनाना होगा।
अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2019 से ही एआई से संबंधित नौकरियों में उछाल आया है, जो सालाना 21 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जबकि इन भूमिकाओं के लिए वेतन में हर साल 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हालांकि, मांग में इस उछाल और आकर्षक वेतन के बावजूद योग्य एआई पेशेवरों की आपूर्ति में तेजी नहीं आई है। इससे प्रतिभाओं के बीच अंतर बढ़ रहा है जिससे उद्योगों के एआई को अपनाने की रफ्तार धीमी होने का जोखिम है।
बनर्जी ने कहा कि एआई पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत है जिसमें कंपनियों को पारंपरिक भर्ती तौर-तरीकों से हटकर देखने और आंतरिक प्रतिभा को विकसित करने के लिए निरंतर कौशल-विकास पहल को प्राथमिकता देना शामिल है।
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