नई दिल्ली: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के जारी आंकड़ों के अनुसार, देशव्यापी लॉकडाउन के 2 महीने के बाद आर्थिक गतिविधियों में धीरे-धीरे बहाली के साथ, भारत ने मई में 2.1 करोड़ नए रोजगार के बाद जून में 7 करोड़ नौकरियां और जुड़ी हैं.
यह सुधार अप्रैल में 12 करोड़ से अधिक नौकरियों के जाने के बाद आया है जब आर्थिक गतिविधियों में पूरी तरह विराम लग गया था, क्योंकि भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए शटडाउन लागू किया था. इसके चलते कई प्रवासी मजदूर आजीविका के चले जाने की वजह से अपने गांवों को लौट गए.
जून में जोड़े गए ज्यादातर रोजगार छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरी की श्रेणियों में हैं, जो मई में दिखे रुझानों के तरह हैं. दिहाड़ी मजदूरों की श्रेणी में लगभग 4.4 करोड़ नौकरियां जोड़ी गईं, इसमें 1.2 करोड़ किसानों, 1 करोड़ व्यवसायों में और 0.4 करोड़ वेतनभोगी वर्ग में हैं.
सीएमआईई के प्रबंध निदेशक और सीईओ महेश व्यास ने एक नोट में कहा है कि वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच नौकरियों की प्रगति सबसे धीमी रही है, और कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (एमजीएनआरईजीए) योजना और खरीफ बुवाई ने जून में रोजगार बाजार को बढ़ा दिया है.
मई में, सरकार ने राज्य प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराने को लेकर मनरेगा योजना में 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की घोषणा की थी.
व्यास ने कहा, ‘जाहिर है, चूंकि लॉकडाउन में ढील दी गई है, छोटे व्यापारियों और मज़दूरों ने अपने व्यापार में तेज़ी से वापसी की है. उनके लिए अपने रोजगार को वापस पाना बड़ा आसान है क्योंकि वे स्व रोजगार वाले हैं. लॉकडाउन के दौरान जब माहौल उन्हें काम करने की अनुमति नहीं दे रहा था तो वे तुरंत रोजगार गंवा दिए लेकिन अब जब लॉकडाउन नहीं है, तो वे जल्दी से अपने व्यापार में वापस आ रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यहां यह माना जा सकता है कि उन्हें रोजगार तुरंत वापस मिल सकता है, वहीं उनकी आय के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती. इसके अलावा, उनकी रिकवरी अभी भी पूरी तरह होनी है.
वेतनभोगी नौकरियां
सीएमआईई के अनुसार, अप्रैल में 1.77 करोड़ वेतनभोगी नौकरियां चली गईं और मई में 1.78 करोड़. इनमें से केवल 39 लाख वेतनभोगी नौकरियां ही जून में रिकवर हुईं हैं.
व्यास ने अपने नोट में कहा, ‘जबकि नौकरियां वापस आ रही हैं, यदि अन्य प्रकार की नौकरियों में बेहतर गति में सुधार नहीं हो रहा तो यह महत्वपूर्ण है कि गुणवत्ता वाली नौकरियां की वापसी भी उसी गति में सुधरे.’
आंकड़ों से पता चलता है कि जून में रिकवरी के बावजूद, रोजगार का स्तर अभी भी 2019-20 से काफी कम है- इस जून में कुल रोजगार 37.4 करोड़ था, जबकि इसके बरक्स 2019-20 में औसतन इसी समय 40.4 करोड़ रोजगार था.
जून में आर्थिक गतिविधि में आंशिक रूप से सुधार हुआ है लेकिन अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में कम से कम 5 प्रतिशत पर रहेगी.
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