नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करने का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें ‘जवाबदेही का संरक्षक’ माना जाना चाहिए।
पांडेय ने ‘वार्षिक निदेशक सम्मेलन 2025’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम उन्हें केवल मानद नियुक्ति या मित्रवत आलोचक के रूप में देखना जारी नहीं रख सकते। उन्हें ‘जवाबदेही के संरक्षक’ के रूप में देखा और माना जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि धारणा को बदलने के लिए कई क्षेत्रों में बदलाव करने होंगे। स्वतंत्र निदेशकों को असहमति जताने में स्वतंत्र होना चाहिए और कृत्रिम मेधा (एआई) संचालन, साइबर खतरों एवं ईएसजी खुलासों जैसे उभरते जोखिमों की समझ होनी चाहिए।
पांडेय ने कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड) की संरचना को विविधतापूर्ण बनाने पर जोर दिया ताकि विभिन्न क्षेत्रों, युवा पेशेवरों, क्षेत्रीय आवाजों और परिचित नेटवर्क से बाहर के लोगों को भी शामिल किया जाए।
सेबी प्रमुख ने कहा, ‘‘जो कंपनी बोर्ड कभी असहमत नहीं होता, वह एक राय वाला न होकर निष्क्रिय होता है। अगर मकसद और आपसी सम्मान हो तो अलग-अलग विचारों से बोर्ड सशक्त होता है।’’
पांडेय ने ‘भविष्य के बोर्ड’ की परिकल्पना रखते हुए कहा कि ध्यान महज अनुपालन पर न होकर संस्कृति एवं मूल्यों पर होना चाहिए।
उन्होंने डिजिटल समाधानों को बोझ के बजाय बेहतर संचालन के साधन के रूप में अपनाने की सलाह देते हुए कहा, ‘‘संचालन संबंधी जानकारी को वित्तीय जानकारी जितना ही नियमित बनाना होगा।’’
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