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बुधवार, 7 मई, 2025
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सरकारी खरीद में ब्रिटिश कंपनियों को शामिल करने से एमएसएमई पर जोखिम बढ़ेगाः जीटीआरआई

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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन की कंपनियों को भारत की सरकारी खरीद निविदाओं में भाग लेने की अनुमति देने से घरेलू एमएसएमई इकाइयां जोखिम में पड़ सकती हैं क्योंकि वे ऐसे अनुबंधों तक पहुंच पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

भारत ने मंगलवार को ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की घोषणा करने के साथ कुछ शर्तों के अधीन ब्रिटिश कंपनियों को केंद्र सरकार की खरीद (जीपी) योजनाओं में शामिल होने की छूट दे दी।

अब ब्रिटिश कंपनियां भारत की सरकारी निविदाओं के लिए बोली लगा सकती हैं, और केवल 20 प्रतिशत ब्रिटिश सामग्री वाली कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत श्रेणी-2 स्थानीय आपूर्तिकर्ता माना जाएगा। इससे भारतीय कंपनियों को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के लिए दिया जाने वाला अधिमान्य व्यवहार प्रभावी हो जाता है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बयान में कहा कि इससे बहुत कम पारस्परिक लाभ होगा, जिससे भविष्य के एफटीए के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम होगी और घरेलू हितों की रक्षा के लिए भारत की क्षमता कमजोर होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन की कंपनियों को लगभग समान शर्तों पर प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने से भारतीय एमएसएमई मुकाबले से बाहर हो सकते हैं क्योंकि वे सरकारी अनुबंधों तक सुरक्षित पहुंच पर बहुत अधिक निर्भर हैं।’’

भारत ने अब तक विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सरकारी खरीद समझौते (जीपीए) से बाहर निकलने का विकल्प चुना है, जिससे घरेलू फर्मों को तरजीह देने का उसका अधिकार सुरक्षित है।

मौजूदा नीति के तहत 25 प्रतिशत सरकारी अनुबंध एमएसएमई के लिए आरक्षित हैं, जिसमें एससी/एसटी और महिला स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए व्यवस्था है। रक्षा खरीद में 25 प्रतिशत घटक भारतीय एमएसएमई से प्राप्त किए जाने चाहिए।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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