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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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भारत के लिए एआई टूल में समावेशन वैकल्पिक नहीं, आधारभूतः यूनेस्को निदेशक

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नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) यूनेस्को के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय में निदेशक टिम कर्टिस ने मंगलवार को कहा कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) में समावेशन वैकल्पिक न होकर मूलभूत है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के वरिष्ठ अधिकारी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की विशाल सामाजिक, आर्थिक और भाषाई विविधता को प्रतिबिंबित करने के लिए शुरू से ही प्रणालियों को बनाया जाना चाहिए।

कर्टिस ने ‘एआई तैयारी आकलन पद्धति’ पर पांचवीं एवं अंतिम हितधारक परामर्श बैठक में कहा कि यदि एआई टूल जानबूझकर हाशिये पर मौजूद समुदायों समेत उपयोगकर्ताओं के समग्र आधार के लिए नहीं बनाए जाते हैं तो वे लाखों लोगों को पीछे छोड़ने का जोखिम उठाते हैं।

कर्टिस ने कहा, ‘‘भारत जैसे विशाल एवं जटिल देश में न केवल 1.4 अरब लोग रहते हैं, बल्कि यहां हजारों भाषाएं और अपार सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय विविधताएं भी हैं। ऐसे में यहां पर एआई में समावेशन का होना वैकल्पिक नहीं है, यह आधारभूत है।’’

उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से अंग्रेजी या शहरी आंकड़ों पर प्रशिक्षित एआई टूल को स्थानीय भाषाओं, बोलियों एवं संदर्भों के साथ संघर्ष करना पड़ सकता है और इससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल सेवाओं के दायरे से बाहर रह सकता है।

कर्टिस ने कहा, ‘‘अगर हम चाहते हैं कि एआई प्रणाली समावेशी हों, तो हमें उन्हें शुरू से ही इस तरह से डिजाइन करना चाहिए, जिसमें न केवल कार्यक्षमता, बल्कि आवश्यक मूल्य भी शामिल हों।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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