नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) देश में उम्रदराज आबादी को सशक्त बनाने का आह्वान करते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि काम करने को इच्छुक बुजुर्गों को फिर से कार्यबल में शामिल करने से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि देश में बुजुर्गों ने 2023-24 में 6.8 करोड़ डॉलर का श्रम योगदान दिया, जो भारत की जीडीपी का तीन प्रतिशत है।
‘दीर्घायु: बढ़ती उम्र को समझने का एक नया तरीका’ शीर्षक से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से उम्रदराज आबादी की प्रवृत्तियों को बयां किया गया है। यह रिपोर्ट निष्क्रियता के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और बुजुर्गों को सशक्त बनाने की जरूरत को रेखांकित करती है।
परमार्थ कार्यों से जुड़ी संस्था रोहिणी निलेकणी फिलान्थ्रॉपीज की इस रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘बुजुर्ग हर साल लगभग 14 अरब घंटे पारिवारिक देखभाल और 2.6 अरब घंटे सामुदायिक कार्यों में देते हैं। ऐसे में काम करने के इच्छुक बुजुर्गों को फिर से कार्यबल में शामिल करने से देश की जीडीपी को 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।’’
डालबर्ग एडवाइजर्स और अशोका चेंजमेकर्स के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट उम्रदराज आबादी के प्रति सोच को सिर्फ लंबे जीवन तक सीमित न रखते हुए, बेहतर जीवन की ओर केंद्रित करती है।
रोहिणी निलेकणी फिलान्थ्रॉपीज की चेयरपर्सन रोहिणी निलेकणि ने कहा, ‘‘ भारत में 2047 तक 30 करोड़ बुजुर्ग होंगे। हमें करोड़ों लोगों की देखभाल के लिए बेहतर संरचनाओं की आवश्यकता होगी। लेकिन वृद्ध सिर्फ निर्बल नहीं हैं, वे मूल्य सृजन का स्रोत भी हैं।’’
वैश्विक रणनीतिक परामर्श कंपनी डालबर्ग एडवाइजर्स की क्षेत्रीय निदेशक श्वेता टोटापल्ली ने कहा, ‘‘हमने पाया कि भारत में पहले से ही ऐसे सामाज-आधारित नवप्रवर्तकों का एक व्यापक परिवेश है जो वृद्धावस्था को नए दृष्टिकोण से देख रहा है। अब समय इन प्रयासों से सीखने और उन्हें तेज करने का है।”
रिपोर्ट में वृद्धजनों की जरूरतों पर आधारित चार मुख्य पहलुओं…आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, भागीदारी की स्वतंत्रता और सामाजिक जुड़ाव…को प्रमुखता से उकेरा गया है।
इसमें तीन प्रमुख प्राथमिकताओं को चिन्हित किया गया हैं। ये प्राथमिकताएं हैं, दीर्घायु को सामाजिक चेतना का हिस्सा बनाना, बुजुर्गों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने को नवाचार को प्रोत्साहन और आंकड़ों, क्षमता और सहयोग में व्यवस्था संबंधी खामियों को दूर करना। इसमें सामाजिक कार्यों से जुड़े नवप्रवर्तक और परमार्थ संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस रिपोर्ट को 10 महीने में अग्रणी विशेषज्ञ संगठनों के साथ बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें केअर्स वर्ल्डवाइड, विजडम सर्किल, सिल्वर टॉकीज, हेल्पएज इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं।
भाषा रमण अजय
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