नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख तथा डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से देश के तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को मुख्यत: सोयाबीन तथा पाम-पामोलीन जैसे आयातित तेलों के दाम में नरमी आई। पाम-पामोलीन के सस्ता होने से बिनौला तेल की मांग प्रभावित होने के कारण बिनौला तेल भी गिरावट के साथ बंद हुआ।
दूसरी ओर, आवक घटने की वजह से सरसों तेल-तिलहन के दाम में सुधार रहा जबकि सुस्त कारोबार और किसानों की ओर से अधिक नीचे दाम पर बिकवाली घटाये जाने से मूंगफली तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में गिरावट का रुख रहा।
बाजार सूत्रों ने कहा कि 11 नवंबर को जिस कच्चे पामतेल (सीपीओ) का दाम 1,305 डॉलर प्रति टन था वह अब घटकर 1,065 डॉलर प्रति टन रह गया। इसी प्रकार, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आज 42 पैसे मजबूत होकर 84.54 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इन दो कारणों से सोयाबीन तथा पाम-पामोलीन जैसे आयातित तेल के दाम टूट गये।
उन्होंने कहा कि बाजार में अब सरसों की आवक सामान्य अपेक्षा से काफी कम यानी मात्र लगभग 4.25 लाख बोरी की ही रही। सरकारी खरीद जारी रहने के बीच कच्ची घानी की बड़ी तेल मिलों ने आज सरसों के दाम में 100-150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है जिसकी वजह से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती आई। सरसों पर विदेशों की घट-बढ़ का कोई विशेष असर पड़ता नहीं दिखा।
उन्होंने कहा कि शिकागो एक्सचेंज कल रात लगभग 2.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ था। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने के कारण सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट देखने को मिली। वहीं एक ओर जहां सहकारी संस्था, नेफेड ज्यादा नीचे दाम पर सोयाबीन की बिक्री नहीं कर रही और वहीं किसान अधिक नीचे दाम पर बिकवाली से कतरा रहे हैं जिनके बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का हाजिर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे है। इस नीचे दाम पर बिकवाली से बचने के लिए किसान मंडियों में आवक कम ला रहे हैं। ऐसे में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम भी अपरिवर्तित रहे।
उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रहने और डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत रहने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में गिरावट रही।
पाम, पामोलीन का दाम बिनौला से सस्ता होने से बिनौले की मांग प्रभावित हुई है जिसके कारण बिनौला तेल के दाम में भी गिरावट देखी गई।
सूत्रों ने कहा कि थोक दाम में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को कैसे मिले, इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिये। खुदरा बाजार में जाकर जायजा लिया जाना चाहिये कि थोक में सोयाबीन, मूंगफली जैसे खाद्यतेलों में जो गिरावट आई है क्या खुदरा बाजार में उसके अनुरूप दाम टूटे हैं या फिर इसके विपरीत मूंगफली जैसे खाद्यतेल का दाम आसमान क्यों छू रहे हैं? इसका जवाब सभी महंगाई की चिंता करने वालों, तेल संगठनों और जिम्मेदार प्राधिकारियों को ढूंढ़ना होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,275-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,625-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,900 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,360-2,460 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,360-2,485 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,425-4,475 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,125-4,175 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.