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मंगलवार, 3 जून, 2025
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मलेशिया में सुधार के बावजूद आयातित तेल कीमतों में गिरावट

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नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में सुधार के बावजूद देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सोयाबीन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन जैसे आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। जबकि सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम अपरिवर्तित रहे।

शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में सुधार रहने के बावजूद सोयाबीन, सीपीओ एवं पामोलीन जैसे आयातित खाद्य तेल कीमतों में गिरावट है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि देश के कांडला और मुंद्रा बंदरगाह पर पहले कम से कम लगभग 6-7 लाख टन का आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक रहता था। लेकिन अब आयातकों की वित्तीय हालात नाजुक हो चली है और वे स्टॉक मंगाकर उसे रोकने की शक्ति खो बैठे हैं। अब बंदरगाहों पर आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक पहले के मुकाबले काफी कम रह गया है। इस स्थिति के बावजूद आयातक आयातित सोयाबीन डीगम तेल को लगभग 95.50 रुपये किलो बैठने वाली लागत के मुकाबले 93.50 रुपये किलो के भाव बेचने को मजबूर हैं। लागत से कम दाम पर बिकवाली के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल की पर्याप्त कमी वाले देश में ऐसी स्थिति का होना एक असामान्य बात है कि आयात लागत के दाम से कम दाम पर खाद्य तेल बेचा जाये। आयातकों की इन दिक्कतों की ओर ध्यान देते हुए स्थितियों को संभाले जाने की जरूरत है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने देश के तेल प्रसंस्करण उद्योग के हित में और उनके परिचालन को बढ़ाने के लिए आयात होने वाले कच्चे तेल पर आयात शुल्क को घटाया है। इस वजह से सीपीओ और पामोलीन के दाम में गिरावट है।

उन्होंने कहा कि मलेशिया में, पामोलीन का निर्यात बढ़ाने के मकसद से जिस सीपीओ का दाम पहले 1,040 डॉलर और पामोलीन का दाम 1,000 डॉलर प्रति टन था, उसे भारत के द्वारा कच्चे तेल पर आयात शुल्क घटाये जाने के बाद अब सीपीओ के लिए 1,060 डॉलर और पामोलीन के लिए 980 डॉलर टन कर दिया गया है। लेकिन इस कदम से पामोलीन के आयात में कमी आयेगी क्योंकि सरकार के इस कदम से तेल व्यापारियों पर रोक लगने की उम्मीद है जबकि तेल उद्योग द्वारा सीपीओ का आयात किया जायेगा।

सूत्रों ने कहा कि कच्ची घानी की बड़ी तेल मिलों की मांग मजबूत रहने और आवक बढ़ने के बजाय सामान्य बने रहने के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार रहा। सरसों का दाम सोयाबीन, पामोलीन से लगभग 26-28 रुपये किलो ऊंचा हो गया है और मौजूदा दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक हो चला है।

उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा अधिक नीचे दाम पर बिकवाली कम रखने के कारण सोयाबीन तिलहन कीमतों में भी सुधार रहा। हालांकि, सोयाबीन तिलहन का दाम एमएसपी से अब भी 12-14 प्रतिशत नीचे है। जबकि कमजोर कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्ववत बने रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,650-6,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,600-5,975 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,200-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,480-2,580 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,480-2,615 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,525 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,400-4,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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