नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान कागज और पेपरबोर्ड का आयात 37 प्रतिशत बढ़कर लगभग 14.7 लाख टन हो गया है।
उद्योग निकाय इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे स्थानीय कागज मिलें प्रभावित हुई हैं।
आईपीएमए ने वाणिज्यिक आसूचना एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कागज और पेपरबोर्ड का आयात लगभग 10.7 लाख टन था।
आईपीएमए ने बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में मात्रा के लिहाज से इस जिंस के आयात में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 14.4 लाख टन हो गया था। दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक के आंकड़े इसे भी पार कर गए हैं।
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारी मात्रा में कागज और पेपरबोर्ड के आयात से ‘मेक-इन-इंडिया’ अभियान और साथ ही पांच लाख प्रतिबद्ध किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।’’
अग्रवाल ने कहा कि भारत में लगभग सभी श्रेणियों के कागज बनाने के लिए घरेलू क्षमता पर्याप्त है और इस तरह अंधाधुंध आयात से देश की अधिकांश पेपर मिलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 900 से अधिक पेपर मिलों में केवल 553 ही चालू हैं।
आईपीएमए ने कहा कि आयात में वृद्धि की मुख्य वजह आसियान देशों से कागज और पेपरबोर्ड के आयात में 142 प्रतिशत की भारी वृद्धि है, जो आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते के तहत शून्य आयात शुल्क पर यहां आती हैं।
भाषा पाण्डेय अजय
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