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Saturday, 16 November, 2024
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मोदी सरकार ने अगर एक-दो दिन में फैसला नहीं लिया तो अगले वित्त वर्ष तक टल सकता है LIC का IPO

ट्रांजैक्शन में करीब 15 दिन का समय लगता है, और यह बात सामने आई है कि मौजूदा समय में बाजार में जारी अस्थिरता के मद्देनजर वित्त मंत्रालय का बजट डिवीजन एलआईसी आईपीओ की आय को इस वित्तीय वर्ष की गणना में शामिल नहीं कर रहा है.

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नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में थोड़े ही दिन बचे हैं और दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, यदि नरेंद्र मोदी सरकार को जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के इनीशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) संबंधी पूरा ट्रांजैक्शन इसी वित्तीय वर्ष में पूरा करना है तो उसे अगले एक-दो दिनों में ही इस पर कोई अंतिम निर्णय करना होगा.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, आईपीओ सफलतापूर्वक लाने के लिए सरकार को प्रक्रिया शुरू होने से लेकर उसके अंत तक कम से कम 15 दिन का समय चाहिए. साथ ही कोई भी फैसला लेने से पहले शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव पर भी विचार करना होगा.

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘एंड-टू-एंड ट्रांजिशन पूरा करने के लिए कम से कम 15 दिनों की आवश्यकता होगी. क्या हम 2021-22 में आईपीओ ला सकते हैं, इस पर कोई अंतिम फैसला इसे हफ्ते हो जाएगा.’

पिछले तीन हफ्तों—जबसे रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला है—से शेयर बाजारों में जबर्दस्त उथल-पुथल चल रही है और यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने के आसार हैं क्योंकि जंग अभी भी जारी है.

एलआईसी आईपीओ सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उसे 2021-22 में राजकोषीय घाटे के एक बड़े हिस्से को पूरा करने में मदद मिलेगी जो कि जीडीपी का 6.9 प्रतिशत है. अगर इस साल आईपीओ नहीं आता है, तो सरकार को कम से कम 60,000 करोड़ रुपये का राजस्व अंतर नजर आ रहा है, जो अकेले एलआईसी की लिस्टिंग से ही पूरा हो सकता है.

मंत्रालय के एक दूसरे शीर्ष अधिकारी ने संकेत दिया कि, अब तक एलआईसी आईपीओ से होने वाली आय को वित्तीय गणना से बाहर रखा गया है. इसका मतलब तो यही है कि सरकार इस साल आईपीओ नहीं लाने के संकेत दे रही है.

उन्होंने कहा, ‘एलआईसी हमारी वित्तीय गणना से बाहर है क्योंकि हमें इस साल ऐसा होने की उम्मीद नहीं है.’

भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा

शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की तरफ से पिछले माह ही इस आईपीओ को मंजूरी मिल चुकी है. इसके बाद एलआईसी शेयरों के मूल्य निर्धारण पर अंतिम निर्णय लेने के लिए मंत्री समूह—जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं—की बैठक होनी थी.

केंद्र सरकार आईपीओ के जरिये एलआईसी के पांच फीसदी या 31.6 करोड़ शेयर बेचने पर विचार कर रही है. बीमा कंपनी की वैल्यू 13 ट्रिलियन रुपये होने को देखते हुए बाजार को इश्यू का आकार करीब 60,000-65,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. इसके साथ ही एलआईसी आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बन जाएगा.

सरकार के पास एलआईसी आईपीओ के मामले में आगे बढ़ने के लिए 12 मई तक का समय है, जिस समयसीमा के बाद उसे सेबी से नए सिरे से मंजूरी लेनी पड़ सकती है, क्योंकि तब कंपनी के हालिया वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर उसका पुनर्मूल्यांकन करना होगा. एलआईसी का वर्तमान एम्बेडेड मूल्य 5.4 लाख करोड़ रुपये आंका गया जो 30 सितंबर तक की स्थिति पर आधारित है.

इस बीच, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग बाजार में उतार-चढ़ाव पर लगातार नजरें बनाए हुए है और बदलती स्थितियों का आकलन कर रहा है.

निफ्टी में अगले 30 दिनों में संभावित उतार-चढ़ाव के बारे में संकेत देने वाला इंडिया वीआईएक्स इंडेक्स (या इंडिया वोलेटाइल इंडेक्स) फरवरी के अंत में 32 के उच्च स्तर से गिरकर 26 पर पहुंच गया है. यह सूचकांक की सामान्य रेंज 14-15 के विपरीत है.

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के लिए बेहतर यही होगा कि शेयर बाजार सामान्य होने तक एलआईसी का आईपीओ लाना टाल ही दे, क्योंकि आईपीओ का आकार बड़ा है और इसके लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की पर्याप्त भागीदारी की आवश्यकता होगी, जिन्होंने भारतीय बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण यहां से अपना कुछ पैसा निकाल लिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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