नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) चार्टर्ड अकाउंटेंट का शीर्ष संस्थान आईसीएआई ने व्यापार सुगमता और बढ़ाने के लिए विवेकपूर्ण कर सुधारों के लिए कई सुझाव दिए। इसके तहत केंद्रीय बजट 2026-27 में कानूनी विवाद को कम करने, अनुपालन बोझ को कम करने और कर चोरी को रोकने के लिए विभिन्न उपायों का प्रस्ताव दिया गया है।
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने अगले वित्त वर्ष के लिए दिए गए अपने सुझावों में वायदा एवं विकल्य कारोबार और सट्टा कारोबार को अनुमानित आय के दायरे से बाहर करने, विवाहित जोड़ों के लिए वैकल्पिक संयुक्त कराधान की शुरुआत करने और निर्धारित एकड़ से अधिक कृषि भूमि के स्वामियों के लिए अनिवार्य रिटर्न दाखिल करने का प्रस्ताव दिया है।
आईसीएआई ने टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती)/टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) और अग्रिम कर भुगतानों को जमा करने के लिए वर्षवार ई-लेजर प्रणाली शुरू करने का भी सुझाव दिया है, जिन्हें देय आयकर के विरुद्ध समायोजित किया जा सकता है।
संस्थान ने यह भी सुझाव दिया है कि अनिवासी हस्तांतरण करने वालों को भुगतान करने के लिए प्राप्तकर्ता के मामले में टैन (कर कटौती और संग्रह खाता संख्या) प्राप्त करने की आवश्यकता से छूट दी जाए और कबाड़ की बिक्री पर टीसीएस को भी हटाया जाए।
एक विज्ञप्ति में, आईसीएआई ने कहा कि ये सुझाव विवेकपूर्ण कर सुधारों के लिए हैं जिनका उद्देश्य व्यापार सुगमता को और बढ़ाना है।
संस्थान ने सुझाव दिया है कि एलएलपी (सीमित देयता भागीदारी) में व्यावसायिक पुनर्गठन को कर-तटस्थ दर्जा दिया जाए, भागीदारों के पारिश्रमिक पर टीडीएस को युक्तिसंगत बनाया जाए और हरित परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिए जाएं।
आईसीएआई के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने कहा, ‘‘2026-27 के लिए हमारे बजट-पूर्व सुझावों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य एक ऐसे कर परिवेश का समर्थन करना है जो व्यापार सुगमता को बढ़ावा दे, सतत विकास को गति दे और एक मजबूत एवं हरित अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा को मजबूत करे।’’
भाषा
आम तौर पर, केंद्रीय बजट हर साल 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाता है। रमण पाण्डेय
पाण्डेय
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