नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) ने ऋणग्रस्त परिसंपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया में होने वाली देरी को कम करने और बेहतर मूल्य हासिल करने के लिए परिसमापन संबंधी नियमों में कुछ बदलाव किए हैं।
आईबीबीआई के इस कदम से हितधारकों की बेहतर भागीदारी सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। आईबीबीआई ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के क्रियान्वयन से संबंधित शीर्ष निकाय है।
आईबीबीआई ने परिसमापन प्रक्रिया और स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया से संबंधित नियमों को संशोधित किया है। मंगलवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, नए नियम 16 सितंबर से प्रभावी हो गए हैं।
संशोधित नियमों के मुताबिक, कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत गठित ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) परिसमापन प्रक्रिया के शुरुआती 60 दिन में हितधारकों की परामर्श समिति (एससीसी) के तौर पर काम करेगी। इसके बाद बकाये के संबंध में मिले दावों के आधार पर समिति को नए सिरे से गठित किया जाएगा।
परिसमापक को एससीसी की बैठकों का संरचनात्मक एवं समयबद्ध आयोजन करना होगा जिसमें हितधारकों की बेहतर भागीदारी रहे। एससीसी परिसमापक के स्थानापन्न का सुझाव भी निर्णय करने वाले प्राधिकरण को दे सकती है। इसके अलावा परिसमापक की फीस भी तय कर सकती है।
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