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Saturday, 21 September, 2024
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हाइब्रिड वाहन भारत के ‘शुद्ध शून्य कार्बन’ अभियान को मध्यम अवधि का व्यावहारिक समाधान: रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) हाइब्रिड वाहन भारत के ‘शुद्ध शून्य कार्बन’ अभियान के लिए मध्यम अवधि का व्यावहारिक समाधान हैं क्योंकि देश अंततः विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है। एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

मौजूदा परिस्थितियों में हाइब्रिड कारों से कुल कार्बन उत्सर्जन इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तुलना में कम है।

रिपोर्ट में कहा गया, “हाइब्रिड न केवल स्वामित्व की लागत के नजरिये से, बल्कि भारत के ‘शुद्ध शून्य कार्बन’ अभियान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।”

इसमें कहा गया कि ईवी की तुलना में हाइब्रिड गाड़ियां बहुत कम प्रदूषणकारी होती हैं। ईवी से कुल कार्बन उत्सर्जन यानी ‘वेल टू व्हील’ (डब्ल्यूटीडब्ल्यू) वर्तमान में 158 ग्राम/किलोमीटर है, जबकि डीजल के लिए 201 ग्राम/किमी, पेट्रोल के लिए 176 ग्राम/किमी और हाइब्रिड के लिए 133 ग्राम/किमी है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसका मतलब है कि हाइब्रिड डीजल, पेट्रोल और आनुपातिक ईवी की तुलना में क्रमशः 34 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और 16 प्रतिशत कम प्रदूषणकारी हैं।

रिपोर्ट कहती है कि दीर्घावधि में इलेक्ट्रिक वाहन तो तय ही हैं। ‘‘हमारा मानना है कि भारत को एक भरोसेमंद और पूर्ण विद्युतीकरण की व्यावहारिक रूपरेखा के लिए अगले पांच से 10 साल में हाइब्रिड की स्वीकार्यता बढ़ानी होगी।’’

भाषा अनुराग अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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