scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअर्थजगतकैसे एक्सपोर्ट से प्रभावित सर्विसेज ट्रेड सरप्लस भारत के व्यापार घाटे को बैलेंस करने में मदद कर रहा

कैसे एक्सपोर्ट से प्रभावित सर्विसेज ट्रेड सरप्लस भारत के व्यापार घाटे को बैलेंस करने में मदद कर रहा

जनवरी में भारत का माल व्यापार घाटा गिरकर 17.7 अरब डॉलर के 12 महीने के निचले स्तर पर आ गया, जबकि सर्विसेज ट्रेड सरप्लस बढ़कर रिकॉर्ड 16.5 अरब डॉलर हो गया. दिसंबर में सर्विस एक्सपोर्ट में 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा की वृद्धि हुई.

Text Size:

जनवरी में भारत का माल व्यापार घाटा गिरकर 17.7 अरब डॉलर के 12 महीने के निचले स्तर पर आ गया, जबकि सर्विसेज ट्रेड सरप्लस बढ़कर 16.5 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. घटते मर्केंडाइज़ ट्रेड डेफिसिट और मजबूत सर्विसेज ट्रेड सरप्लस मिलकर चालू वित्त वर्ष के लिए चालू खाता घाटे को कम करने में मददगार साबित होंगे.

सर्विसेज ट्रेड में सरप्लस की स्थिति मजबूत सर्विसेज एक्सपोर्ट की वजह से है. दिसंबर, 2022 में सेवाओं का निर्यात पिछले महीने की तुलना में 4 बिलियन डॉलर के अधिक से बढ़ गया. सर्विसेज एक्सपोर्ट की मजबूत गति जनवरी में भी कायम रही. वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, भारत के कुल एक्सपोर्ट (मर्केंडाइज़ प्लस सर्विसेज) ने जनवरी 2023 में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 14.58 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की.

सिकुड़ता वैश्विक व्यापार और भारत के चालू खाता घाटे पर प्रभाव

2021 में 10.4 प्रतिशत से 2022 में घटकर अनुमानित 5.4 प्रतिशत होने के साथ ही वैश्विक व्यापार वृद्धि में तीव्र मंदी देखी गई है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के जनवरी अपडेट के मुताबिक, वैश्विक व्यापार में 2024 में 3.4 प्रतिशत तक बढ़ने से पहले आपूर्ति की बाधाओं में कमी के बावजूद 2023 में 2.4 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद है.

विश्व व्यापार संगठन गुड्स ट्रेड बैरोमीटर जारी करता है जो मर्केंडाइज़ ट्रेड में शुरुआती रुझानों के बारे में जानकारी देता है. बैरोमीटर इंडेक्स 2022 के अंतिम महीनों और 2023 में ट्रेड एक्टिविटी में गिरावट को दर्शाता है.

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का सर्विसेज ट्रेड बैरोमीटर, जो सर्विसेज ट्रेड की वर्तमान स्थिति को दिखाता है, आने वाले महीनों में सर्विसेज ट्रेड ऐक्टिविटी में संभावित मंदी को भी दिखाता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

22 दिसंबर को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जबकि यात्रा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) सेवाओं और वित्तीय सेवाओं पर खर्च द्वारा समर्थित होने की वजह से सितंबर की तिमाही में सर्विसेज ट्रेड के मजबूत रहने की उम्मीद थी, पर विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की संभावनाओं में गिरावट के कारण सर्विसेज ट्रेड में एक धीमापन देखा गया. बैरोमीटर के कंपोनेंट्स में, वित्तीय और आईसीटी सेवाएं अब तक धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अधिक लचीली रही हैं, जबकि निर्माण सेवाएं और कंटेनर शिपिंग में संकुचन की स्थिति है.

बैरोमीटर के अनुसार, वर्ल्ड सर्विसेज ट्रेड ऐक्टिविटी 2022 की दिसंबर तिमाही में कमजोर प्रतीत होती है और 2023 के शुरुआती महीनों में इसके कमजोर रहने की संभावना है.


यह भी पढ़ेंः कृषि बजट नौ साल में 5 गुना बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ: प्रधानमंत्री


गुड्स के व्यापार में भारत में नरमी देखी गई है

2021-22 में भारत का व्यापारिक निर्यात 422 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था. इस साल आर्थिक स्थिति में लगातार सख्ती के बीच बढ़ती वृद्धि और व्यापार में मंदी के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है.

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जनवरी में भारत के माल निर्यात में साल-दर-साल आधार पर 6.6 प्रतिशत की कमी आई है. जिन कुछ वस्तुओं में दो अंकों का संकुचन देखा गया (साल-दर-साल आधार पर) उनमें रत्न और आभूषण, सूती धागे और कपड़े, मानव निर्मित धागे और कपड़े, इंजीनियरिंग सामान और प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं. कुमुलेटिव आधार पर, भारत का माल निर्यात अप्रैल-जनवरी 2022-23 से 368.5 बिलियन डॉलर था, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 340.3 बिलियन डॉलर था.

कमोडिटी की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण इस वर्ष आयात में वृद्धि हुई है. अप्रैल-जनवरी की अवधि के लिए, भारत का माल आयात पिछले वर्ष की समान अवधि के 494.3 बिलियन डॉलर की तुलना में बढ़कर 601.7 बिलियन डॉलर हो गया.

2022 के अधिकांश महीनों में आयात में दोहरे अंकों में वृद्धि देखी गई है. केवल पिछले दो महीनों के दौरान आयात में साल-दर-साल आधार पर संकुचन देखा गया है. जनवरी में, माल के आयात में 3.6 प्रतिशत की कमी आई. संकुचन क्रमिक आधार पर भी देखा गया था. यह वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में कमी, कमजोर मांग और गै़र-ज़रूरी आयात पर सरकार के नियंत्रण के कारण था. खासकर सोने के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 70 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई.

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

माल व्यापार घाटे में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए सर्विसेज ट्रेड

सर्विसेज में ट्रेड पर मासिक डेटा सेवाओं के निर्यात में निरंतर वृद्धि दर्शाता है. जनवरी में, भारत का सेवा निर्यात 32.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो जनवरी के सामान निर्यात के लगभग बराबर है. सेवाओं के व्यापार में कुल सरप्लस जनवरी में 16.48 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

मासिक डेटा सेवाओं में व्यापार की एक पूरी तस्वीर पेश करता है. भुगतान संतुलन पर त्रैमासिक डेटा से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सेवाओं के निर्यात में उछाल दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं, वित्तीय सेवाओं और व्यापार सेवाओं में नेट इनफ्लो से प्रेरित है.

जबकि दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं का निर्यात सेवाओं के निर्यात का बड़ा हिस्सा है, यह व्यावसायिक सेवाओं का निर्यात है जिसमें 2021-22 और 2022-23 में सबसे तेज वृद्धि देखी गई है. व्यापार सेवाओं की श्रेणी के भीतर, अनुसंधान और विकास-आधारित सेवाओं के निर्यात, और पेशेवर और प्रबंधन परामर्श सेवाओं में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल-सितंबर की अवधि में तेज वृद्धि देखी गई है.

इसके विपरीत, कोविड की शुरुआत और भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से यात्रा-संबंधी सेवाएं काफी प्रभावित हुई हैं.

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
ग्राफिक्सः रमनदीप कौर । दिप्रिंट

सेवाओं की आउटसोर्सिंग के लिए भारत पसंदीदा

अमेरिका में, जबकि कुल मुद्रास्फीति में गिरावट आई है और वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है, सेवाओं की व्यापक श्रेणी में मुद्रास्फीति लगातार उच्च बनी हुई है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने स्वीकार किया है कि सेवा क्षेत्र में अपस्फीति अभी भी पकड़ में नहीं आई है. मौद्रिक नीति को कड़ा करने के भविष्य के पाठ्यक्रम पर निर्णय लेने के लिए बैंक सेवा कीमतों पर बारीकी से विचार करेगा.

लागत बचाने के लिए, उच्च मुद्रास्फीति से प्रभावित देशों ने, विशेष रूप से सेवाओं में, ऑडिटिंग, लेखा और कानूनी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अपने काम को आउटसोर्स करना शुरू कर दिया है. अपेक्षाकृत कम पेरोल लागत के साथ अपनी कुशल और योग्य जनशक्ति के कारण भारत एक आकर्षक आउटसोर्सिंग गंतव्य के रूप में उभरा है. टाइम-ज़ोन भिन्नता और भाषा अवरोध की कमी ने भी भारत को एक अनुकूल आउटसोर्सिंग भागीदार के रूप में सक्षम बनाया है. यह व्यापार सेवाओं के निर्यात में हालिया उछाल के बारे में बताता है.

(राधिका पाण्डेय नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में सीनियर फेलो हैं. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः गुजरात सरकार ने 3.01 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया, किसी नए कर का प्रस्ताव नहीं


 

share & View comments